महाराष्ट्र में एनसीपी के टूटने और सारे घटनाक्रम के बाद पश्चिमी यूपी के जाट नेता और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। हालांकि जयंत चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ऐसी अटकलों का खंडन किया लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कुछ न कुछ तो चल ही रहा है। जयंत चौधरी के गठबंधन सहयोगी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के एक ट्वीट से भी काफी कुछ मतलब निकाला जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को कहा कि वह विपक्षी एकता के लिए अगली बैठक में शामिल होंगे। उनके एनडीए से हाथ मिलाने की बात में दम नहीं है। उन्होंने किसी केंद्रीय मंत्री से मिलने की खबर को भी फर्जी बताया। आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप उज्ज्वल ने सोमवार को कहा, '' जयंत चौधरी जी विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं और भाजपा के साथ उनकी कोई बैठक नहीं हुई है।''
इसके उलट इंडियन एक्सप्रेस को आरएलडी के एक सूत्र ने बताया कि रविवार को दो घंटे तक एक बैठक में बातचीत हुई थी। कुछ प्रस्ताव दिए गए हैं, लेकिन उन्हें प्रकट करने से पहले चीजों को अंतिम रूप देना सबसे अच्छा होगा।
इस अफवाह को दरअसल केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के बयान से हवा मिली। अठावले रविवार को यूपी में एक कार्यक्रम में आए थे। अठावले ने पत्रकारों से कहा कि जयंत चौधरी जल्द ही एनडीए में शामिल होंगे। अठावले ने याद दिलाया कि जयंत चौधरी जी विपक्षी दलों की पटना बैठक में भी नहीं गए थे। वह अखिलेश यादव से नाखुश हैं और हमारे साथ आ सकते हैं। बता दें कि पटना बैठक 23 जून को हुई थी और उससे बहुत पहले जयंत चौधरी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बैठक में आने में असमर्थता जताई थी।
रविवार को अठावले का बयान आने के बाद जयंत चौधरी ने बागपत में पत्रकारों से कहा, ''मेरा रुख बिल्कुल साफ है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वे क्या कहते हैं?” जयंत ने महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी। जयंत ने महाराष्ट्र पर कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। ऐसी बातें होती रहती हैं। राजनीति में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। विपक्ष की अगली बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली है। जयंत ने कहा, ''मैं अगले दौर की बैठक में हिस्सा लूंगा।''
सपा से रिश्ते
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पिछले कुछ समय से चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश के बीच बढ़ती दूरी की चर्चा चल रही है। हालांकि दोनों ने 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव गठबंधन के रूप में लड़ा था। चुनाव नतीजों ने गठबंधन की सफलता को मजबूत किया। दोनों दलों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन फिर से हासिल कर ली। लेकिन जब जयंत 23 जून को पटना नहीं गए तो इसे दोनों के बीच तनाव के रूप में देखा गया।
यह चर्चा तब ज्यादा हो गई जब जयंत चौधरी ने 1 जुलाई को सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उनके 50वें जन्मदिन पर बधाई नहीं दी। जयंत 1 जुलाई को ट्वीट करके अखिलेश को बधाई देते रहे हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा प्रमुख को बधाई दी।
इंडियन एक्सप्रेस से आरएलडी के एक नेता ने कहा कि अखिलेश और जयंत के बीच सबसे पहले मतभेद राज्यसभा सीट को लेकर पैदा हुए थे। नेता ने कहा कि “सपा ने काफी सौदेबाजी के बाद उन्हें सीट दी… कुछ अन्य मुद्दे भी थे। उसके बाद अखिलेश जी और जयंत जी दूर हो गए।''
अखिलेश यादव ने 2 जुलाई को एक ट्वीट किया है, जिसके व्यापक अर्थ जयंत चौधरी के संदर्भ में निकाले जा रहे हैं। अखिलेश ने लिखा है - राजनीति की गणित अलग होती है, यहाँ किसी का जुड़ना सदैव ताक़त का बढ़ना नहीं होता बल्कि जो ताक़त थी उसको बाँटने के लिए एक और हिस्सेदार का बढ़ जाना होता है। ये कमज़ोरी के बढ़ने का प्रतीक भी होता है।
अखिलेश ने इसे महाराष्ट्र के संदर्भ में लिखा है लेकिन निशाने पर कौन है, यह साफ नहीं है। कहा जा रहा है कि निशाने पर जयंत चौधरी से लेकर उनके अपने कुछ विधायक भी हो सकते हैं। जो शायद उनका साथ छोड़ने वाले हैं।
मई में यूपी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान भी मतभेद सामने आए, जब दोनों पार्टियों ने कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। आरएलडी इस बात से नाराज थी कि उसे मेयर पद की कोई भी सीट चुनाव लड़ने के लिए नहीं दी गई। आरएलडी मेरठ सीट पर अपना मेयर प्रत्याशी उतारना चाहती थी। निकाय चुनावों के दौरान, जयंत उन बैठकों में मौजूद नहीं थे जिनमें अखिलेश ने भाग लिया था।
इसके बाद आरएलडी नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए नया गठबंधन पार्टनर तलाशने की बात कहना शुरू कर दिया। आरएलडी के कांग्रेस की ओर बढ़ने के संकेत मिले।
एनडीए में जाने के नुकसान
आरएलडी पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय की पार्टी है। जयंत चौधरी ने अभी हाल ही में मुसलमानों और दलितों को आरएलडी के साथ जोड़ने के लिए एक अभियान चलाया। भाजपा के साथ गठबंधन और एनडीएम में जाने से आरएलडी के कई प्रमुख मुस्लिम और दलित नेता उससे दूर हो सकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक “हालांकि पार्टी अपनी विचारधारा बदल सकती है, लेकिन कुछ नेता ऐसा नहीं कर सकते। विशेष रूप से मुस्लिम और दलित समुदाय के नेता ऐसा नहीं करने वाले।”बहरहाल, अखिलेश के पूर्व सहयोगी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा, ''यूपी में भी बड़ी हार होगी। सिर्फ महाराष्ट्र को मत देखो। यूपी में भी ऐसा ही होगा। आप जल्द ही कई सपा विधायकों और सांसदों को शपथ लेते देखेंगे। ऐसे कई लोग हैं जो लोकसभा टिकट चाहते हैं।'' राजभर ने सवाल किया कि ''क्या वो (जयंत) पटना गए थे? क्या वह बेंगलुरु (विपक्ष की अगली बैठक) जाएंगे?”