योगी सरकार आवारा गायों की देखभाल के लिए आश्रय स्थल बनाने, उनके चारे पानी के लिए शराब की बिक्री पर 0.5 फ़ीसदी अतिरिक्त 'सेस' लगाएगी। इसके अलावा 0.5 प्रतिशत सेस टोल टैक्स और सरकारी कंपनियों के मुनाफ़े पर लगाया जाएगा। मंडी सेस पर लगने वाले शुल्क को भी एक से बढ़ाकर दो फ़ीसदी करने का फ़ैसला लिया गया है। शासकीय निगमों से होने वाली आय का जो हिस्सा कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के कार्यों पर खर्च होना है उसे भी गोवंश की देखभाल के लिए लगाया जा सकेगा। यूपी सरकार ने 'सेस' लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी दे है।
पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही योगी सरकार के पास गायों के रखरखाव के लिए पैसों का नहीं होना ताज्ज़ुब की बात नहीं है, पर गाोरक्षा के नाम पर अपनी जाल में फँस चुकी सरकार आख़िर करे तो क्या करे!
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि बीते एक साल में उत्तर प्रदेश में शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व में दोगुने से भी ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह दो साल पहले मिलने वाला मंडी शुल्क अब 600 करोड़ रुपए सालाना से बढ़कर 1800 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। लगातार घाटे में रहने वाले कई सार्वजिनक उद्यम अब लाभ कमाने लगे हैं। उनका कहना है कि इन सबकी आमदनी का कुछ हिस्सा गोवंश की देखभाल में खर्च किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के मुताबिक अब तक गायों के लिए आश्रयस्थल बनाने और उनकी देखभाल के लिए 16 नगर निगमों को 160 करोड़ रुपए जबकि हर जिले को 1.20 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। मंगलवार के प्रदेश सरकार ने गांवों, स्थानीय निकायों में गौशालाएं बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि इस सबके बाद भी गायों के चारे पानी व सुरक्षा के लिए सरकार के पास अलग से कोई फंड नही है।
दूध देना बंद कर चुकी गायों को किसान छोड़ देते हैं और ये गायें खेतों में घुस खड़ी फ़सल चर रही हैं, जिससे किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। चुनाव में यह गुस्सा भारी न पड़े, इसलिए सरकार अब सक्रिय हो गई है।
इस फंड की व्यवस्था के लिए मंगलवार को मंत्रिपरिषद ने शराब की बिक्री पर सेस, मंडी पर सेस लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
ग़ौरतलब है कि प्रदेश भर में सड़कों पर टहल रही आवारा गायें और बैल किसानों की फसल चर रहे हैं। बेहाल किसान सरकार से इस समस्या का कोई हल न होते देख अब आवारा जानवरों को सरकारी दफ्तरों में कैद कर रहे हैं। पहले से क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर जूझ रही योगी सरकार के लिए किसानों के इस नए बवाल के निपटना बड़ी चुनौती बन गया है। प्रदेश के डेढ़ दर्जन जिलों में हजारों की तादाद में आवारा गोवंश सरकारी स्कूलों, पंचायत भवनों और अन्य दफ्तरों में कैद कर दिए गए हैं। अब चारा पानी की व्यवस्था न होने से कैद छुट्टा जानवर दम तोड़ रहे हैं और जिला प्रशासन हलकान है।