पहला चरण: 2017 में बीजेपी को 53 सीटों पर मिली थी जीत, इस बार हालात अलग
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में जिन 58 सीटों पर वोटिंग हो रही है उनमें से 2017 के विधानसभा चुनाव में 53 सीटें बीजेपी को मिली थीं। लेकिन इस बार किसान आंदोलन के चलते सियासी हालात बदले हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछली बार का चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था जबकि इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का गठबंधन राष्ट्रीय लोक दल के साथ है।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन 58 सीटों में से सपा को 2 सीटें और रालोद को 1 सीट मिली थी जबकि बीएसपी भी 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।
लेकिन बीएसपी 30 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इससे पता चलता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीएसपी एक बड़ी ताकत है। बीएसपी की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही आती हैं।
इन 58 सीटों में से सपा 29, रालोद 28 और एनसीपी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने इस बार 58 सीटों में से 23 सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा है।
जाट और मुसलिम निर्णायक
इस इलाके में जाट और मुसलिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं। किसान आंदोलन के दौरान यह इलाका बेहद गर्म रहा था और इस इलाके में हुई किसान महापंचायतों में एक बार फिर जाट और मुसलिम समुदाय साथ आते दिखा था। इस इलाके में जाट और मुसलिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है और वे जिसके साथ जाएंगे, उसी दल को यहां कामयाबी मिलेगी।
2014, 2017 और 2019 के चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार कामयाबी मिली थी लेकिन किसान आंदोलन के कारण इस बार उसके सामने चुनौतियां ज़्यादा हैं।
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान साल 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों का बार-बार जिक्र किया है। मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद इस इलाके में जबरदस्त सियासी ध्रुवीकरण हुआ था और बीजेपी को लगातार कामयाबी मिलती रही थी लेकिन इस बार सपा-रालोद गठबंधन मजबूत दिखाई दे रहा है।
जिन जिलों में वोटिंग हो रही है उनमें शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा और आगरा शामिल हैं।
ये हैं प्रमुख सीटें
पहले चरण में कैराना, मुजफ्फरनगर, सिवालखास, सरधना नोएडा, खुर्जा, पुरकाजी, खतौली, बड़ौत, लोनी, मुरादनगर, धौलाना, हापुड़, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर, अतरौली, मांट, छाता आदि सीटों पर वोटिंग हो रही है।