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महाराष्ट्र में 30 साल में रिकॉर्ड वोटिंग के मायने क्या, किसकी जीत के संकेत?

महाराष्ट्र में 30 साल में रिकॉर्ड वोटिंग के मायने क्या, किसकी जीत के संकेत?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग हुई है। जानिए, दोनों गठबंधनों ने इस रिकॉर्ड वोटिंग के मायने क्या निकाल रहे हैं।

महाराष्ट्र में चुनाव के लिए मतदाता भारी संख्या में घरों से निकले। राज्य में देर रात तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार मतदान 65.1 प्रतिशत को पार कर गया। राज्य में इतनी भारी तादाद में मतदान दशकों बाद हुआ है। 1995 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब राज्य में 71.69 प्रतिशत मतदान हुआ था। यह मतदान इस साल के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में दर्ज 61.39 प्रतिशत और 2019 के विधानसभा चुनावों में दर्ज 61.4 प्रतिशत से कहीं ज़्यादा है। तो सवाल है कि इतनी भारी तादाद में मतदान का मतलब क्या है? क्या एंटी इंकंबेंसी यानी सरकार के ख़िलाफ़ ग़ुस्से में इतने लोग बाहर निकले या फिर सरकार की नीतियों और योजनाओं का समर्थन करने के लिए?

वैसे, दोनों गठबंधन दावा कर रहे हैं कि ज़्यादा वोट पड़ने का मतलब यह है कि उनकी जीत है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि मतदान में बढ़ोतरी से सत्तारूढ़ महायुति को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'जब भी मतदान में बढ़ोतरी होती है, तो भाजपा को राजनीतिक रूप से लाभ होता है। यह साफ़ है कि पिछले चुनावों की तुलना में विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है। इससे भाजपा और महायुति दोनों को मदद मिलेगी।'

लेकिन प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि एमवीए चुनाव जीत रहा है। उन्होंने कहा, 'विधानसभा चुनाव में लोगों में काफी उत्साह है और महाराष्ट्र के स्वाभिमानी नागरिक ऐसी सरकार चुनेंगे जो राज्य के कल्याण को प्राथमिकता देगी। जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए कांग्रेस पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। राज्य में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनना तय है।'

हालाँकि, एग्ज़िट पोल में महायुति को बढ़त मिलती दिख रही है। सात एग्ज़िट पोल्स में से 5 में महायुति को बढ़त मिलते दिखाया गया है तो 2 में एमवीए को। हालाँकि, एग्जिट पोल पर भरोसा बहुत कम किया जा सकता है क्योंकि ये अक्सर ग़लत साबित होते रहे हैं।

 - Satya Hindi

महायुति को सबसे ज़्यादा सीटें मिलने का सर्वे पीपुल्स पल्स के एग्ज़िट पोल में आया है। इसके अनुसार महायुति को 175-195 सीटें मिल सकती हैं। यह आँकड़ा बहुमत के 145 के आंकड़े के पार है। पीपुल्स पल्स एग्जिट पोल के अनुसार, एमवीए को 85-112 सीटें मिलने की संभावना है। अन्य को 7-12 सीटें मिल सकती हैं।

एमवीए को सबसे ज़्यादा सीटें इलेक्टोरल एज के सर्वे में मिलती दिखाई गई हैं। इस एग्ज़िट पोल में एमवीए को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। इस सर्वे के अनुसार महायुति को 118 सीटें मिल सकती हैं, जबकि एमवी को 150 सीटें मिलने के आसार हैं। अन्य को 20 सीटें मिल सकती हैं।

वैसे, वोटिंग के पैटर्न को चुनाव आयोग के आँकड़ों से भी समझा जा सकता है। ईसीआई द्वारा जारी आँकड़ों से पता चलता है कि शहरी मतदाताओं की तुलना में ग्रामीण मतदाता बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जिलों में सबसे अधिक मतदान पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में दर्ज किया गया, जहाँ यह 76.25 प्रतिशत था। मुंबई शहर में सबसे कम 52.07 प्रतिशत मतदान हुआ। कोल्हापुर जिले की करवीर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 84.79 प्रतिशत मतदान हुआ। 

दक्षिण मुंबई के कोलाबा निर्वाचन क्षेत्र में सबसे कम 44.49 प्रतिशत मतदान हुआ। यहाँ भाजपा के राहुल नार्वेकर का मुकाबला कांग्रेस के हीरा देवासी से है।

हाई-प्रोफाइल बारामती विधानसभा सीट पर जहां उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने भतीजे और एनसीपी (एसपी) उम्मीदवार युगेंद्र पवार से मुकाबला कर रहे हैं, मतदान 71.03 प्रतिशत रहा, जो 2019 के चुनावों में 68.82 प्रतिशत से अधिक है।

वैसे, महाराष्ट्र में मतदान में हुई वृद्धि का श्रेय सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी एमवीए द्वारा किए गए आक्रामक अभियान को दिया जा रहा है और यह करीबी मुकाबले में एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है। लोकसभा चुनावों के दौरान, महायुति में तीन दलों - भाजपा, शिवसेना और एनसीपी - ने कुल मिलाकर 42.71 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि महा विकास अघाड़ी के तीन प्रमुख सहयोगियों - कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी एसपी- ने मिलकर 43.91 प्रतिशत वोट हासिल किए। मतदान में कम से कम 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी यह तय करने में एक प्रमुख फैक्टर के रूप में उभर सकती है कि चुनाव कौन जीतता है। 

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