महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के गुटों के बीच चल रही सियासी खींचतान में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले को पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच को भेज दिया है। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस मामले में आए तमाम सवालों और मुद्दों को देखते हुए इसे संवैधानिक बेंच के पास भेजने का फैसला किया।
हालांकि अदालत पिछली सुनवाइयों में कह चुकी थी कि जरूरत पड़ने पर इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेजा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में बागी विधायकों पर अयोग्यता की कार्यवाही से लेकर, स्पीकर के चुनाव, पार्टी व्हिप को मान्यता देना, शिंदे सरकार का फ्लोर टेस्ट और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर किसका हक है, व कुछ अन्य मामलों को उठाया गया है।
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे गुट के द्वारा शिवसेना पर किए गए दावे को लेकर कोई फैसला लेने से रोका जाए। इस पर चुनाव आयोग से कहा गया है कि वह अगली सुनवाई तक इस मामले में कोई कार्रवाई ना करे। संवैधानिक बेंच इस मामले में 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
माना जा रहा है कि संवैधानिक बेंच में यह मामला लंबा खिंचेगा। पिछली सुनवाईयों के दौरान अदालत ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की बर्खास्तगी व अन्य मामलों को सुना था।
विधायकों ने की थी बगावत
बता दें कि 20 जून को शिवसेना के एक दर्जन से ज्यादा विधायक पहले सूरत पहुंच गए थे और फिर गुवाहाटी के लिए निकल गए थे। 25 जून को महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए नोटिस भेजा था जिसके बदले में बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 26 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई भी की थी और 10 दिन में इस मामले को फिर से सुनने के लिए कहा था।
लेकिन इसी बीच 28 जून को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कह दिया लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार ने 29 जून को सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल कर दी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली थी। इसके बाद 3 जुलाई को विधानसभा के नए स्पीकर का चुनाव भी हो गया और 4 जुलाई को एकनाथ शिंदे ने विश्वासमत हासिल कर लिया था।