उदयपुर में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड को लेकर कांग्रेस के दो बड़े नेता गुरुवार को ट्विटर पर आमने-सामने आ गए। इन बड़े नेताओं के नाम आचार्य प्रमोद कृष्णम और जयराम रमेश हैं।
हुआ यूं कि आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कन्हैया लाल हत्याकांड को लेकर राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार पर सवाल उठा दिए और तमाम सवालों को उठाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि क्या राजस्थान में सरकार का इकबाल बिल्कुल खत्म हो गया है।
लेकिन इस पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि आप दूसरी बार लक्ष्मण रेखा पार कर चुके हैं और आपने जो कुछ भी लिखा है वह तथ्यों से बहुत परे है तो आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उन्हें फिर से जवाब दिया।
इसके बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम के कई समर्थकों ने भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को टैग कर जयराम रमेश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो आचार्य प्रमोद कृष्णम फिर मैदान में उतर आए। उन्होंने जयराम रमेश का नाम लिए बिना ऐसे लोगों को नास्तिक बता दिया और कहा कि यह लोग धर्म का मर्म नहीं जानते।
आचार्य प्रमोद कृष्णम राहुल गांधी के दफ्तर में काम करने वालों को लेकर भी करारा हमला बोल चुके हैं।
प्रियंका के हैं करीबी
आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं और उनके राजनीतिक सलाहकार भी हैं। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की दौड़ में भी हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम अपने बयानों को लेकर काफी चर्चित रहे हैं और कुछ महीने पहले ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को कुतुब मीनार और ताजमहल हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।
आचार्य प्रमोद कृष्णम आध्यात्मिक गुरू भी हैं और कल्कि पीठाधीश्वर भी।
भिड़ते रहे हैं नेता
साल 2014 के बाद से लगातार एक के बाद एक जोरदार चुनावी शिकस्त खा रही कांग्रेस के नेता बीते कई सालों से सोशल मीडिया पर खुलेआम भिड़ते रहे हैं। G-23 नेताओं का गुट पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाता है तो तमाम राज्य इकाइयों में भी पार्टी नेताओं के बीच जबरदस्त झगड़ा है।
फरवरी-मार्च में हुए पांच राज्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरी ताकत झोंकी थी। तब कई मौकों पर आचार्य प्रमोद कृष्णम उनके साथ दिखाई दिए थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली और वह पांचों राज्यों में चुनाव हारी।
लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस के नेता चेतने को तैयार नहीं दिखते। किसी भी राजनीतिक दल के भीतर अपनी बात कहने के लिए पार्टी फोरम है लेकिन कांग्रेस के नेता जिन बातों को पार्टी में बंद दरवाजों के भीतर कहा जाना चाहिए उन्हें मीडिया के सामने या सोशल मीडिया पर कहने के आदी हो गए हैं। निश्चित रूप से इससे पार्टी की अच्छी-खासी फजीहत दुनिया के सामने होती है।