नूपुर विवाद: जामा मसजिद प्रदर्शन के लिए 2 लोग गिरफ़्तार
दिल्ली पुलिस ने जामा मसजिद में 10 जून के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। यह प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी के दो निष्कासित नेताओं- नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर थी। दोनों नेताओं ने पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और इसी मामले में उनपर कार्रवाई की मांग जामा मसजिद पर प्रदर्शन करने वाले लोगों ने की थी।
जामा मसजिद पर प्रदर्शन को लेकर बयान में मसजिद के शामी इमाम ने कहा था कि मसजिद की तरफ़ से किसी प्रदर्शन का आह्वान नहीं किया गया था। पुलिस ने भी कहा है कि प्रदर्शन के लिए मंजूरी नहीं ली गई थी।
क्षेत्र के निवासी इस बात से इनकार करते हैं कि विरोध का कोई आह्वान किया गया था। जामा मसजिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी 10 जून को एक बयान में कुछ ऐसा ही कहा था। उन्होंने उस प्रदर्शन से खुद को दूर कर लिया था।
उन्होंने तर्क दिया था कि जामा मसजिद में आमतौर पर शुक्रवार को दिखने वाली 'विशाल भीड़' में से केवल 50-60 लोगों ने विरोध में भाग लिया। उन्होंने कहा था कि हमें नहीं पता कि ये लोग कौन हैं या कहां से आए। पुलिस का दावा है कि विरोध प्रदर्शन में क़रीब 300 लोग शामिल थे।
बहरहाल, इस मामले में दो युवकों को शनिवार को गिरफ़्तार किया गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस उपायुक्त श्वेता चौहान ने कहा कि गिरफ्तार किए गए दो लोगों की पहचान मोहम्मद नदीम और फहीम के रूप में हुई है। नदीम 43 साल का है और जामा मसजिद इलाके का रहने वाला है जबकि फहीम 37 साल का है और चांदनी चौक में तुर्कमान गेट के पास रहता है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि तीन-चार अन्य लोगों की भी पहचान कर ली गई है और उनके ख़िलाफ़ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि और अधिक लोगों की पहचान करने के लिए जांच जारी है।
अधिकारी ने कहा, 'हम विरोध स्थल पर लगे कई सीसीटीवी के फुटेज के माध्यम से स्कैन कर रहे हैं और अधिक अपराधियों की पहचान करने के लिए जनता द्वारा रिकॉर्ड किए गए मोबाइल फुटेज को भी देख रहे हैं, ताकि उन्हें पकड़ा जा सके।'
बता दें कि 10 जून को जुमे की नमाज के बाद जिंदल और शर्मा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दिल्ली की मशहूर जामा मसजिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे। कई प्रदर्शनकारी कथित तौर पर तख्तियां लिए हुए थे और निष्कासित बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।
प्रदर्शन के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (एक लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया क्योंकि कथित तौर पर अधिकारियों से अनुमति लिए बिना विरोध प्रदर्शन किया गया था। आईपीसी की धारा 153ए (धर्म आदि के आधार पर समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत आरोप भी बाद में जोड़े गए। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी रोग अधिनियम के तहत भी एक मामला दर्ज किया गया।