चालू वित्तीय वर्ष (2023-2024) की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 की पिछली जनवरी - मार्च तिमाही में यह वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी। ऐसे में पिछली तिमाही की तुलना में यह वृद्धि सकारात्मक है। गुरुवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा ये आंकड़े जारी कर इसकी जानकारी दी गई है।
इन आंकड़ों के मुताबिक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। भारत की यह तरक्की इसलिए भी खास हो जाती है कि पड़ोसी देश चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के बाद से सुस्त हुई है और उसकी रिकवरी धीमी हुई है। अप्रैल-जून तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि 6.3 प्रतिशत थी।आंकड़े बताते हैं कि कोविड महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से उबर रही है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अर्थव्यवस्था ने एक वर्ष में सबसे तेज वार्षिक गति दर्ज की है, जो सेवा क्षेत्र और अधिक पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी के कारण हुई है।
आने वाली तिमाहियों में विकास दर धीमी होने की उम्मीद
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों बताते हैं कि, कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 2.4 फीसदी थी। हालाँकि, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि घटकर 4.7 प्रतिशत रह गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 6.1 प्रतिशत थी। मॉनसून पर अल नीनो के प्रभाव, खनन उत्पादन में कमजोरी और निर्यात में सुस्ती और लोकसभा चुनाव नजदीक आने के कारण सरकारी पूंजीगत व्यय की गति में संभावित मंदी को देखते हुए आने वाली तिमाहियों में भारत की विकास दर धीमी होने की उम्मीद है।
2023 में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रही थी
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। इससे पहले वित्त वर्ष 2023 में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रही थी। इसमें कहा गया है कि, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में कोर सेक्टर की वृद्धि दर पिछले महीने के 8.3 प्रतिशत की तुलना में कम रही है। आठ क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि भी अप्रैल-जुलाई 2023-24 में घटकर 6.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.5 प्रतिशत थी।
जाने क्या है सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी
अर्थशास्त्र की दुनिया में जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद एक वर्ष में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। यह किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है। इससे ही देश के आर्थिक विकास और प्रगति का पता चलता है। भारत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय वर्ष में चार बार ( हर तीन महीने पर ) जीडीपी का आकलन करता है। हर वर्ष यह वार्षिक जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी करता है। अर्थव्यवस्था के जानकारों के मुताबिक भारत जैसे विकासील देश के लिए हर वर्ष जीडीपी में बढ़ोतरी होनी आवश्यक है। ऐसा होने पर ही देश की बढ़ती आबादी की आवश्कताओं को पूरा किया जा सकता है।