एक देश एक चुनाव को लेकर बनाई गई समिति की पहली बैठक आयोजित होने से पूर्व बुधवार को नई दिल्ली में समिति के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गृहमंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने मुलाकात की है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले इस इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया है।
इससे पूर्व बुधवार को विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बनी समिति की बैठक होने की बात कही जा रही थी लेकिन देर शाम में स्पष्ट हुआ कि यह समिति के अध्यक्ष से दो सदस्यों की शिष्टाचार मुलाकात थी।
समिति में सदस्य के तौर पर गृहमंत्री अमित शाह और विशेष सदस्य के तौर पर कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल शामिल हैं।
इस समिति को एक ही समय में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को कराने को लेकर विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट देनी है।
समिति में कांग्रेस नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी रखा गया था लेकिन उन्होंने समिति के गठन के दिन ही इसमें काम करने से इंकार कर दिया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी समिति की पहली बैठक के लिए तिथि और स्थान का चयन किया जा रहा है। ये तय होते ही समिति की पहली बैठक हो सकती है। कानून मंत्रालय पैनल के लिए अधिकारी भी नियुक्त कर रहा है जो समिति के सदस्यों की मदद करेंगे।
2 सितंबर को केंद्र सरकार ने बनाई थी यह समिति
एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार ने शनिवार 2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। इस समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह,लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी समेत कुल 8 सदस्यों के नाम की घोषणा की गई थी।जिसमें से अधीर रंजन चौधरी ने समिति से खुद को अलग करने की घोषणा उसी दिन कर दी थी। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति की बैठकों में विशेष सदस्य के तौर पर शामिल होंगे। यह समिति मौजूदा कानूनी ढ़ांचे को ध्यान में रख कर देश में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने की व्यवहार्यता को लेकर जांच करेगी। समिति इस बात पर विचार करेगी कि क्या देश में एक साथ ये सभी चुनाव कराये जा सकते हैं।
केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सरकार एक देश, एक चुनाव पर विधेयक ला सकती है। देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर भाजपा पूर्व में वादे करती आयी है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इसको लेकर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।
सरकार समय से पहले भी चुनाव करवा सकती है?
कई राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि अगर देश में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो वर्तमान राजनीति को देखते हुए इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। आगामी चार राज्यों के चुनाव में राज्य के मुद्दें अगर हावी रहते हैं तो भाजपा की उन राज्यों में स्थिति खराब हो सकती है।वहीं अगर राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़े जाए तो पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव केंद्रित हो सकता है और इससे भाजपा के लिए जीत की राह आसान होगी। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व यह सोच रहा है कि आने वाले दिनों में अगर लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव साथ-साथ होते हैं तो राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर भाजपा की लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव में बड़ी जीत हो सकती है।
दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं का मानना है कि अचानक से संसद का विशेष सत्र बुलाना और एक देश एक चुनाव के लिए समिति बनाने का फैसला बताता है कि भाजपा इंडिया गठबंधन से डर गई है। गठबंधन को एकजुट होने या रणनीति बनाने का मौका नहीं मिले इसलिए भाजपा इस तरह की घोषणाएं कर रही है। विपक्षी नेता लगातार बयान भी दे रहे हैं कि सरकार समय से पहले भी चुनाव करवा सकती है।