तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और उनकी बीआरएस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। तेलंगाना हाई कोर्ट ने आज कथित 'खरीद-फरोख्त' मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने मामले की जाँच कर रहे राज्य द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल यानी एसआईटी को भी भंग कर दिया है। हालाँकि, एसआईटी ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देगी।
तेलंगाना में विधायकों की कथित ख़रीद-फरोख्त का यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। यह मामला सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के चार विधायकों से जुड़ा है और बीजेपी से जुड़े कुछ लोगों के इस मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में मुख्यमंत्री केसीआर बीजेपी पर हमलावर हुए थे और उन्होंने कुछ वीडियो जारी कर दावा किया था कि उनकी पार्टी के विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की गई। उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा था कि दिल्ली के दलालों ने उनकी पार्टी के 4 विधायकों को रिश्वत देने की कोशिश की, जबकि बीजेपी ने कहा था कि केसीआर और बीआरएस सिर्फ राजनीतिक ड्रामा कर रहे हैं।
इस मामले की जाँच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की थी। पुलिस ने बीजेपी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष को समन भेजा था और कहा था कि वह इस मामले की जांच कर रही एसआईटी के सामने पेश हों वरना उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस बीच बीजेपी ने इस मामले की जाँच सीबीआई से कराने की मांग के लिए याचिका दायर की थी।
सीबीआई जांच की मांग को लेकर पाँच याचिकाएँ दायर की गई थीं। तीन अभियुक्तों द्वारा, एक भाजपा द्वारा और पांचवां एक वकील द्वारा। हालाँकि तकनीकी आधार पर भाजपा की याचिका खारिज कर दी गई थी। इन्हीं याचिकाओं पर अब हाई कोर्ट ने अपना फ़ैसला दिया है।
बीजेपी नेता और अधिवक्ता एन रामचंदर राव ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'हमारा तर्क था कि एसआईटी निष्पक्ष जाँच नहीं कर सकती है।' एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी नेता ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने कहा कि एक स्टिंग ऑपरेशन के हिस्से के रूप में दर्ज सभी टेपों तक उनकी पहुँच थी। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और घोषणा की। ऐसे में हमें लगा कि एसआईटी द्वारा की जा रही जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है।'
हाई कोर्ट का यह फ़ैसला तेलंगाना के मोइनाबाद में एक फार्म हाउस पर छापा मारने के दो महीने बाद आया है। तब साइबराबाद पुलिस ने चार विधायकों को 100 करोड़ रुपये में 'खरीद' कर सत्तारूढ़ बीआरएस सरकार को गिराने की साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया था।
तेलंगाना में सरकार चला रही भारत राष्ट्र समिति ने तब कहा था कि उसके चार विधायकों को पार्टी बदलने के लिए मोटी रक़म देने की कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।
तब साइबराबाद के पुलिस आयुक्त स्टीफन रवींद्र ने कहा था कि बीआरएस के चार विधायकों ने पुलिस को सूचना दी थी कि उन्हें अपना राजनीतिक दल बदलने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की जा रही है। सूचना पर पुलिस ने मोइनाबाद के अजीज नगर में स्थित एक फार्म हाउस पर छापा मारा था।
पुलिस के मुताबिक, छापे के दौरान यहां पर तीन लोग मिले जो विधायकों को लालच देने की कोशिश कर रहे थे। इन 3 लोगों में हरियाणा के फरीदाबाद के पुजारी सतीश शर्मा उर्फ रामचंद्र भारती, तिरुपति में श्रीमनाथ राजा पीठम के पुजारी सिम्हैयाजी और व्यवसायी नंदा कुमार शामिल हैं। विधायकों की शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की थी और तीनों को अदालत में पेश किया था।
पुलिस ने कहा था कि इस मामले में चारों विधायकों को अच्छी खासी रकम देने की पेशकश की गई थी। कहा गया था कि इस काम में अहम भूमिका निभाने वाले शख्स को 100 करोड़ रुपए दिए जाने थे जबकि हर विधायक को 50-50 करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई थी।
जिन चार विधायकों ने पुलिस से इस मामले में शिकायत की थी उनके नाम गुववाला बलाराजू, बी. हर्षवर्धन रेड्डी, रेगा कांताराव और पायलट रोहित रेड्डी हैं। जिस फार्म हाउस में रिश्वत देने की कोशिश का आरोप लगाया गया है वह विधायक रोहित रेड्डी का है।
मुख्यमंत्री केसीआर ने यह भी आरोप लगाया है कि भाजपा उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी, और उनकी पार्टी के विधायक रेड्डी अदालत जा रहे थे और पूछ रहे थे कि प्रवर्तन निदेशालय एक ऐसे मामले में क्यों शामिल हो रहा है जिसकी वह जांच नहीं कर रहा है।
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कथित खरीद-फरोख्त मामले को तेलंगाना के मुख्यमंत्री द्वारा अंजाम दिया गया था, और इसने मामले के तीन आरोपियों के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया।