केजरीवाल से मिल स्टालिन बोले- दिल्ली ऑर्डिनेंस का विरोध करेगी डीएमके

07:36 pm Jun 01, 2023 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से मिले। इस मुलाकात में उन्होंने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया है। केजरीवाल केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग पर लाए गये नए अध्यादेश के खिलाफ देश भर में विपक्षी दलों से समर्थन जुटाने के लिए इन दिनों विभिन्न दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें कोर्ट ने दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था। 

अब इसी अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल देश भर में समर्थन जुटाने निकले हैं। इस कड़ी में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से हुई इस मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने आज उनसे दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा की है। यह अध्यादेश अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने आश्वासन दिया है कि डीएमके आम आदमी पार्टी और दिल्ली की जनता के साथ खड़ी रहेगी।

इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 'मैंने खड़गे जी और राहुल जी से मिलने का समय मांगा है'। अभी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है लेकिन उम्मीद है कि कांग्रेस भी इस अलोकतांत्रिक अध्यादेश के खिलाफ संसद में हमारा समर्थन करेगी।

वहीं इस मुलाकात के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार उपराज्यपाल का इस्तेमाल कर केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली और वहां की आप सरकार पर दबाव बना रही है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार दिल्ली पर लाए अध्यादेश को लेकर संसद में विधेयक लेकर आएगी तो डीएमके इसका पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी नेताओं से अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की आप सरकार का समर्थन करने की अपील करता हूं। 

इससे पहले केजरीवाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिल चुके हैं। वहीं केजरीवाल दो जून को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे। इन मुलाकातों का मकसद अध्यादेश के बाद केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने से रोकना है। अध्यादेश के बाद छह माह के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून बनाना अनिवार्य होता है।