पत्रकार रहे स्वपन दासगुप्ता को फिर से राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले उन्हें विवाद होने पर इस्तीफ़ा देना पड़ा था। बंगाल चुनाव में हारे तो प्रतिनिधि होने की उनकी उम्मीदों को झटका लगा था, लेकिन अब फिर से उन्हें राज्यसभा में मनोनीत कर दिया गया है।
राष्ट्रपति सरकार की सलाह पर प्रसिद्ध व्यक्तियों को उच्च सदन में नामित करते हैं। नामांकित सदस्य साहित्य, विज्ञान, खेल, कला और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों से लिए जाते हैं। इन्हीं क्षेत्र से स्वपन दासगुप्ता को भी मनोनीत किया गया है।
इस बारे में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए) के तहत दिए अधिकारों के तहत राष्ट्रपति स्वपन दासगुप्ता को फिर से राज्यसभा में नामांकित कर रहे हैं। इस अधिसूचना में ही कहा गया है कि वह सीट उनके द्वारा इस्तीफ़ा देने के बाद खाली हुई थी।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से टिकट दिए जाने के बाद सवालों का सामना कर रहे राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को अपना इस्तीफ़ा भेजना पड़ा था। यह इस्तीफ़ा उन्होंने तब दिया था जब इस पर काफ़ी विवाद हुआ था।
बीजेपी ने दासगुप्ता को हुगली जिले की तारकेश्वर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने दासगुप्ता के नामांकन को लेकर सवाल उठाया था। मोइत्रा ने इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का हवाला दिया था।
मोइत्रा ने कहा था, 'स्वपन दासगुप्ता पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवार हैं। संविधान की 10वीं अनुसूची कहती है कि यदि कोई राज्यसभा का मनोनीत सांसद शपथ लेने के 6 माह की अवधि ख़त्म होने के बाद अगर किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है तो उसे राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य क़रार दिया जाएगा। उन्हें अप्रैल 2016 में शपथ दिलाई गई थी, जो अभी जारी है। बीजेपी में शामिल होने के लिए उन्हें अब अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।'
इस विवाद के उठने के बाद स्वपन दासगुप्ता को इस्तीफा देना पड़ा था। और अब जब उन्हें फिर से नामित किया गया है तो इसको लेकर भी टिप्पणी की जा रही है।
हालाँकि इस मामले में कोई क़ानूनी पेच तो नहीं है, लेकिन यह संवैधानिक नैतिकता व व्यक्तिगत नैतिकता का सवाल हो सकता है। यह इसलिए कि स्वपन दासगुप्ता चुनाव लड़ने के लिए एक राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, राज्यसभा से इस्तीफ़ा देते हैं और फिर चुनाव हारने पर फिर से राज्यसभा चले जाते हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया है, 'मुझे लगता है कि 1952 में राज्यसभा के अस्तित्व में आने के बाद यह पहली बार है कि ऐसा हुआ है।'
इस बीच राज्यसभा में फिर से उनके नामित होने पर स्वपन दासगुप्ता ने ख़ुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मुझे राज्यसभा के लिए फिर से मनोनीत किए जाने पर शुभकामनाएँ भेजी हैं। मैं उन लोगों के प्रति भी आभारी हूँ जो विपरीत राय रखने वालों में शामिल हैं। मैं केवल इतना कह सकता हूँ (एक बंगाली बहन की हाल की एक कहावत से उधार) कि उन्होंने मुझे सम्मानित किया होगा क्योंकि मैं एक बंगाली हूँ।'