लॉकडाउन के बाद सड़कों पर दिख रही हज़ारों लोगों की भीड़ पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा है कि कोरोना वायरस का लोगों में खौफ और इससे पैदा हुई अफरा-तफरी इस वायरस से भी बड़ी समस्या है। वह इस मामले में दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। याचिका में माँग की गई थी कि ऐसे हज़ारों आप्रवासी कामगारों को राहत मुहैया करायी जाए जो अपने-अपने घरों के लिए बड़े शहरों को छोड़कर जा रहे हैं। इसमें यह भी कहा गया कि वे शहरों को इसलिए छोड़कर जा रहे हैं क्योंकि उनके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वे लॉकडाउन के दौरान 21 दिन तक ख़ुद को संभाल सकें।
पिछले 4-5 दिनों से जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हज़ारों ग़रीब और मज़दूर देश के बड़े-बड़े शहरों को छोड़ रहे हैं। ऐसी ही भयावह तसवीर दिल्ली के आनंद विहार में दिखी जब उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि उसने 1000 बसों का इंतज़ाम किया है। हालाँकि इससे पहले भी ऐसी ही तसवीरें आती रही हैं जिसमें पैदल ही लोग अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे हैं चाहे कोई वाहन मिले या न मिले। काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है और हज़ार-हज़ार किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए ऐसे लोग जोखिम उठा रहे हैं। हालाँकि, सरकारों ने अपनी-अपनी तरफ़ से खाने-पीने की व्यवस्था करने के दावे किए हैं और सरकार ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है। लेकिन लगता है ये नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।
इस पर कोर्ट में सुनवाई वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से हुई। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम उन चीजों से निपटना नहीं चाहते जिन्हें सरकार पहले से ही संभाल रही है।'
सरकार की तरफ़ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए मज़दूरों का पलायन रोकने की ज़रूरत है। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों ने ज़रूरी क़दम उठाए हैं। हालाँकि कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर स्टेटस रिपोर्ट माँगी है।
कोर्ट ने पूछा है कि केंद्र ने कोरोनो के प्रकोप और देश भर में लॉकडाउन के बीच बड़े पैमाने पर मज़दूरों के शहरों से गाँवों की ओर पलायन करने के मद्देनज़र क्या क़दम उठाए हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ़ कर दिया कि वह इस पर तब तक कोई फ़ैसला नहीं देगा जब तक केंद्र की ओर से स्टेटस रिपोर्ट नहीं दाखिल कर दी जाती है। अब इस मामले में कल यानी मंगलवार को सुनवाई होगी।