सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय जाने को कहा है। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए सोरेन की याचिका खारिज कर दी कि वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रही है। ईडी की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ हेमंत सोरेन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने सुनवाई की। सोरेन ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका लगाई थी। शीर्ष अदालत ने इसकी तत्काल सुनवाई के लिए गुरुवार को विशेष पीठ गठित की थी। इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शामिल थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने तत्काल सुनवाई के लिए गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सोरेन की याचिका का उल्लेख किया था, जिसके बाद सीजेआई ने मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सिब्बल ने झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष सोरेन द्वारा दायर याचिका को वापस लेने का वादा किया था, जिसमें वही प्रार्थनाएं थीं जो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी गईं।
31 जनवरी को सोरेन को कथित भूमि घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका में सोरेन ने दलील दी थी कि ईडी द्वारा गिरफ्तारी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को 'अनुचित, मनमाना, अवैध और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत और संरक्षित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन' घोषित करने की मांग की थी।
रिपोर्ट के अनुसार सोरेन ने कहा था कि उन्होंने ईडी द्वारा गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए 31 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि हालांकि उन्होंने ईडी अधिकारियों से याचिका के नतीजे का इंतजार करने का अनुरोध किया, लेकिन वे उन्हें गिरफ्तार करने पहुँच गए।
सोरेन ने कहा था कि जब वह अपना इस्तीफा देने के लिए राज्यपाल से मिलने गए तो उन्हें राजभवन से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने दावा किया कि ईडी द्वारा दिल्ली स्थित उनके आवास की तलाशी लेने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था।
बता दें कि हेमंत सोरेन के इस्तीफ़े के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें मनोनीत मुख्यमंत्री नियुक्त किया और शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया। राज्यपाल ने उन्हें 10 दिन में बहुमत साबित करने को कहा। हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के 24 घंटे बाद ऐसा हो रहा है। उनके इस्तीफे के बाद राज्य में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति बतायी जा रही थी।
कई नेताओं ने चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने में देरी की ओर इशारा किया था। चंपई सोरेन ने बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ गुरुवार शाम को राज्यपाल से मुलाकात भी की थी।
राज्यपाल से गुरुवार शाम को मुलाक़ात के बाद चंपई सोरेन ने कहा था कि उन्होंने बुधवार को ही नई सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने कहा कि 'हमने राज्यपाल से मिलकर कहा है कि हम सरकार बनाने को लेकर बिल्कुल क्लियर हैं। हमने इस मुलाकात में राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे इस मामले में जल्दी करें।'