अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद से ही गिरफ़्तार पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपनी माँ से मिलने की इजाज़त दे दी है। अदालत ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने सीपीएम के बीमार नेता यूसुफ़ तारीगामी को इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में शिफ़्ट करने के निर्देश दिए हैं। ये यूसुफ़ तारीगामी वही नेता हैं जिनसे मिलने सीपीएम नेता सीताराम येचुरी हाल ही में जम्मू-कश्मीर गए थे। हालाँकि येचुरी को बार-बार सरकार वहाँ जाने से रोकती रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वह वहाँ जा सके थे।
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी इल्तिजा ने अपनी माँ से मिलने की अनुमति दिए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने याचिका लगाई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को यह निर्देश दे कि उनको अपनी माँ से मिलने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को श्रीनगर जाने और अपनी माँ से मिलने से सरकार को नहीं रोकना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह ज़िले के संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेकर दूसरे श्रीनगर के दूसरे हिस्से में भी जाने को स्वतंत्र हैं।
कश्मीरी नेता एम्स में होंगे शिफ़्ट
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जो जम्मू-कश्मीर में नेताओं की गिरफ़्तारी, वहाँ लगाई गई पाबंदी और नागरिकों के अधिकारों को लेकर दायर की गई हैं। अनुच्छेद 370 में बदलाव के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई बाद में होगी।
तारीगामी को एम्स में शिफ़्ट करने पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सीताराम येचुरी द्वारा दी गई एक रिपोर्ट के बाद आया है। येचुरी ने अपनी पार्टी के बीमार चल रहे कश्मीरी नेता तारीगामी पर यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिया था। कोर्ट ने हाल ही में येचुरी को श्रीनगर जाने और तारीगामी से मिलने की इजाज़त दी थी। इससे पहले केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन्हें वहाँ जाने से रोक दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
अब 16 सितंबर को सुनवाई
'कश्मीर टाइम्स' की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसिन की संचार सेवाएँ बहाली और पाबंदी को हटाए जाने की माँग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस दिया। हालाँकि, कोर्ट ने गुरुवार को कोई आदेश पारित करने से मना कर दिया और कहा कि कोर्ट इस मामले में सभी याचिकाओं पर 16 सितंबर को सुनवाई करेगा।
इससे पहले सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के.के. वेनुगोपाल ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा लैंडलाइन फ़ोन को बहाल कर दिया गया है।
बता दें कि पाँच अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाने के बाद से ही कश्मीर में पाबंदी लगी है। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में फेरबदल किया था। इससे राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। राज्य को दो हिस्सों में बाँटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। इस फ़ैसले के बाद से क्षेत्र में पाबंदी लगा दी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 400 से ज़्यादा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है। इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। भारी संख्या में सशस्त्र बल तैनात किए गए हैं। पूरे क्षेत्र में संचार माध्यम बंद कर दिए गए और आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई। हालाँकि हाल के दिनों में कुछ जगहों पर संचार माध्यमों की बहाली और पाबंदी हटाए जाने की ख़बरें हैं। लेकिन अभी भी वहाँ सामान्य स्थिति बहाल नहीं हुई है और घाटी में तो स्थिति ज़्यादा ही ख़राब है।