रूस की निवेश से जुड़ी एक संस्था और वैक्सीन बनाने वाली स्पूतनिक-V कंपनी ने कहा है कि भारत में कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-V के आपात इस्तेमाल को भारत की दवा नियामक संस्था से मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी कोरोना वैक्सीन की सिफ़ारिश करने के लिए बनी विशेषज्ञ कमेटी यानी एसईसी द्वारा स्पूतनिक-V के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए सिफ़ारिश करने के कुछ देर बाद ही आई। इसका मतलब है कि भारत में अब कोरोना की तीन वैक्सीन उपलब्ध हो गई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका से क़रार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल पहले से ही किया जा रहा है।
रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड यानी आरडीआईएफ़ ने ट्वीट कर भारत में मंजूरी दिए जाने की जानकारी दी है। इसने ट्वीट किया, 'आरडीआईएफ़ ने घोषणा की कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) ने देश में कोरोना के ख़िलाफ़ रूसी स्पूतनिक-V वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। भारत स्पूतनिक-V को मंजूरी देने वाला 60वाँ देश बन गया है।'
रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड ने कहा है, 'डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज़ के साथ साझेदारी में भारत में हुए अतिरिक्त तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के साथ रूस में क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के आधार पर भारत में वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग प्रक्रिया के तहत पंजीकृत किया गया है।'
अभी तक यह साफ़ नहीं है कि भारत में स्पूतनिक-V वैक्सीन कब से मिलेगी। यह भी साफ़ नहीं कहा गया है कि क्या पहले से तैयार इसकी वैक्सीन भारत में आपूर्ति की जा सकती है।
स्पूतनिक-V ने भी ट्वीट किया, 'दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत स्थानीय स्तर पर तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के सकारात्मक परिणामों के बाद स्पूतनिक-V को पंजीकृत करने वाला 60वां देश बन गया। स्पूतनिक-V अब 60 देशों में अधिकृत है, जिनमें 3 अरब से अधिक लोगों की आबादी है।'
इस वैक्सीन को मंजूरी तब मिली है जब भारत में कोरोना संक्रमण में बेतहाशा तेज़ी, कोरोना वैक्सीन की कमी की ख़बरें और दो वैक्सीन पर निर्भरता की नीति के लिए आलोचना की जा रही थी।
स्पूतनिक-V के लिए भारत की दवा बनाने वाली कंपनी डॉ. रेड्डीज लेबोकरेटरीज ने क़रार किया है। इसके लिए काफ़ी पहले ही 19 फ़रवरी को आवेदन किया गया था। एक अप्रैल को विशेषज्ञ पैनल ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज से रूसी टीके के संबंध में अतिरिक्त डाटा एवं जानकारी माँगी थी। इसने शरीर के इम्युन सिस्टम पर इसके काम करने और गंभीर दुष्परिणामों के बारे में जानकारी माँगी थी।
इस बीच सबजेक्ट एक्सपर्ट कमेटी यानी एसईसी ने सोमवार को स्पूतनिक-V के आपात इस्तेमाल की सिफ़ारिश कर दी। मॉडर्ना और फाइज़र के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावी वैक्सीन स्पूतनिक-V वैक्सीन 91.6 फ़ीसदी रही है।
रूस के गेमालेया संस्थान द्वारा विकसित इस वैक्सीन की दो खुराक दी जानी होती है और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में क़ीमत प्रत्येक खुराक के लिए 10 डॉलर है। सूखे रूप में टीके को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है।
भारत में अब तक दो टीके को मंजूरी दी गई थी। दो वैक्सीन को ही मंजूरी दिए जाने पर सरकार की आलोचना भी की जा रही थी। सरकार ने देश में कोरोना वैक्सीन की दो कंपनियों- एस्ट्राज़ेनेका से क़रार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक- को ही टीके के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। फाइजर को मंजूरी नहीं दी गई। स्पूतनिक-V भी भारत में टीके लाने के प्रयास में लगातार रही थी।
हाल के दिनों में कोरोना वैक्सीन पर बहस तेज़ हो गई। यह बहस यह थी कि देश में कोरोना वैक्सीन की कमी है या नहीं? यह तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र ने सबसे पहले आगाह किया था कि उसके पास सिर्फ़ तीन दिनों के लिए ही वैक्सीन उपलब्ध है।
इसके बाद एक के बाद एक कई राज्यों से ख़बरें आईं कि वैक्सीन का स्टॉक कम पड़ गया है। कई राज्यों में तो टीकाकरण केंद्रों के बंद होने की ख़बर भी आई।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने पिछले हफ़्ते कहा था कि महाराष्ट्र के पास 14 लाख वैक्सीन के डोज बचे हैं जिसका मतलब है कि यह तीन दिन का स्टॉक है।