भारतीय कुश्ती महासंघ को वर्ल्ड रेसलिंग ने सस्पेंड किया, खिलाड़ियों पर संकट

02:00 pm Aug 24, 2023 | सत्य ब्यूरो

डब्ल्यूएफआई तमाम विवादों में लगातार चल रहा है। किसी न किसी वजह से इसके चुनाव स्थगित होते रहे। भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव जून 2023 में होना था। लेकिन इसके अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भारतीय पहलवानों के विरोध प्रदर्शन और विभिन्न राज्य इकाइयों की कानूनी याचिकाओं के कारण चुनाव बार-बार स्थगित हुए।

कुश्ती की वर्ल्ड रेगुलेटरी संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने चुनाव समय पर नहीं कराने के लिए डब्ल्यूएफआई को गुरुवार को निलंबित कर दिया। इस घटनाक्रम की वजह से भारतीय पहलवानों को भारतीय ध्वज के साथ आगामी विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने की अनुमति नहीं देगा। हां, वे एक तटस्थ खिलाड़ी के रूप में हिस्सा ले सकते हैं।

इस तरह भारतीय पहलवानों को 16 सितंबर से शुरू होने वाली ओलंपिक-क्वालीफाइंग विश्व चैंपियनशिप में 'तटस्थ एथलीटों' के रूप में भाग लेना होगा क्योंकि भूपेंदर सिंह बाजवा के नेतृत्व वाले तदर्थ पैनल ने चुनाव आयोजित करने के लिए 45 दिन की समय सीमा का सम्मान नहीं किया।

डब्ल्यूएफआई में 15 पदों के लिए चुनाव 12 अगस्त को होने वाले थे। सोमवार को उत्तर प्रदेश से भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह सहित चार उम्मीदवारों ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। चंडीगढ़ कुश्ती संस्था के दर्शन लाल को महासचिव पद के लिए नामांकित किया गया था, जबकि उत्तराखंड के एसपी देसवाल को बृज भूषण गुट से कोषाध्यक्ष के लिए नामांकित किया गया था।

भारतीय महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ की कार्यप्रणाली का विरोध करते हुए इसके अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इसके बाद डब्ल्यूएफआई को पहले जनवरी में और फिर मई में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद डब्ल्यूएफआई का प्रबंधन वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा गठित भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता वाली तदर्थ समिति द्वारा किया जा रहा है।

पूरी दुनिया में रेसलिंग का संचालन करने वाली संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने चुनाव में देरी होने पर डब्ल्यूएफआई को निलंबन की चेतावनी बहुत पहले ही दे दी थी। फेडरेशन के चुनाव में महाराष्ट्र और त्रिपुरा से कोई प्रतिनिधि नहीं होगा क्योंकि रिटर्निंग ऑफिसर ने पूर्व के दोनों गुटों के दावों को "अयोग्य" माना, जबकि त्रिपुरा 2016 से फेडरेशन से असंबद्ध बना हुआ है।