उत्तर पेरिस का रोलैंड-गैरोस स्टेडियम हम सब के लिये जाना पहचाना नाम है। हम हर वर्ष पेरिस ओपन के ग्रैंड स्लैम में मिट्टी के बने कोर्ट पर मुक़ाबले देखते हैं। इसी एरिया में है एरीना पेरिस नॉर्ड का इंडोर स्टेडियम जहां खेली जा रही है ओलंपिक बॉक्सिंग प्रतियोगिता। बॉक्सिंग के मुक़ाबले देखना हमारी सूची में नहीं था। लेकिन जब बॉक्सिंग के राउंड ऑफ़ 16 में हमारी निक़हत ज़रीन पहुँचीं तब बेटियों ने निर्णय लिया कि मुझे इस मुक़ाबले को देखना चाहिए और उन्होंने अंतिम समय में महँगे टिकट ले कर भेजा। बाक़ी सारे खेलों के टिकट्स तो पिछले वर्ष ही ख़रीद लिये गये थे।
पेरिस ओलंपिक का टिकट सिस्टम पूरी तरह डिजिटल है। कहीं भी आपको प्रिंटेड टिकट नहीं मिलता और न ही आपसे अपेक्षा है कि आप टिकट के प्रिंटआउट ले कर जायें। हर किसी को कहा जाता है कि वो टिकट ऐप “पेरिस 24 टिकट्स” अपने मोबाइल पर डाउनलोड करें और प्रवेश पर आपके मोबाइल में क्यूआर कोड को दिखाकर ही आप प्रवेश कर सकते हैं। टिकट सही मामले में अहस्तान्तरणीय है क्योंकि एक मोबाइल पर केवल एक क्यूआर कोड ही लोड किया जा सकता है।
एरीना पेरिस नॉर्ड मेट्रो की ‘बी‘ लाइन पर ‘पार्क दे एक्सपोज़िशन’ स्टेशन पर है। स्टेशन पर उतरते ही सड़क पर बने गुलाबी निशान देखते हुए आप कुछ ही मिनटों में स्टेडियम तक पहुँच सकते हैं। निकहत का मुक़ाबला दिन का पहला मुक़ाबला था। इसलिए समय से कुछ पहले ही पहुँच गये। वहाँ अपेक्षा के अनुसार बड़ी संख्या में भारतीय दर्शक मौजूद थे। जिन खेलों को आप बरसों बरस से टेलीविज़न पर देखते आ रहे हैं, उन्हें प्रत्यक्ष में देखना अलग ही अनुभव है। जब हमने स्टेडियम के भीतर प्रवेश किया तब वो बॉक्सिंग के स्टेडियम की जगह हलकी गुलाबी और नीली रोशनी में नहाये किसी म्यूजिक कंसर्ट का मंच लग रहा था। दर्शकों की प्रतिभागिता बढ़ाने के लिए स्टेडियम में उपलब्ध साउंड, स्क्रीन, कैमरों और ग्राफ़िक्स की मदद से दिलचस्प लाइव प्रसारण किया गया।
इंडिया - इंडिया के नारों के बीच निकहत का आगमन हुआ और कुछ क्षणों में ही मुक़ाबला भी शुरू हो गया। लेकिन अनसीडेड निकहत जरीन, जो दो बार की विश्व चैंपियन हैं, महिलाओं की 50 किग्रा मुक्केबाजी इवेंट के राउंड ऑफ 16 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की वू यू से सर्वसम्मत निर्णय द्वारा हार गईं। पाँच जजों के सर्वसम्मत निर्णय का सीधा मतलब यह है कि ज़रीन वू यू से जरा भी मुक़ाबला नहीं कर पायीं। वू यू पूरी तैयारी से आयी थीं और शुरुआती संघर्ष में उसने भाप लिया कि निकहत में हमेशा की तरह तेज़ी और फूर्ति नदारद है। उसके दो कारण थे। एक यह कि वू यू का यह पहला ही मैच था इसलिए वो ताजातवाना थी और दूसरा यह कि वो निकहत के खेल का बारीक अध्ययन कर के आयी थीं। उसने पहले राउंड में ही निकहत को थका दिया और बाऊट के सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए। फिर तो निकहत उसके हिसाब से नाचती रही।
मैच के बाद एक भारतीय पत्रकार से बात करते हुए निकहत ने कहा कि “मैं घर पहुंचकर इस मुकाबले का विश्लेषण करूंगी। मैंने कड़ी मेहनत की थी, शारीरिक और मानसिक रूप से इस ओलंपिक के लिए खुद को तैयार किया था।” मुकाबले में, वू यू के फुर्तीले फुटवर्क ने निकहत के शुरुआती पलटवार को नाकाम कर दिया। कुछ मुक्के लगाने के बावजूद, निकहत वू यू के शक्तिशाली हुक का सामना नहीं कर पाईं। वह ज्यादा हमला नहीं कर रही थी और मेरे मुक्के हवा में जा रहे थे,” निकहत ने स्वीकार किया। “ऐसा करते थकने का कोई मतलब नहीं था। मुझे इंतजार करना पड़ा। मैं राउंड 1 और 2 में बेहतर करना चाहती थी,” मतलब बाउट के शुरू में ही वो मानसिक रूप से हार चुकी थी। निकहत अंत तक डटी रहीं और जोड़ने की कोशिश की, लेकिन चीनी मुक्केबाज ने उन्हें प्रभावी ढंग से पछाड़ दिया।
हारने के बाद निकहत के चेहरे पर अफ़सोस और थकावट नज़र आ रही थी। अपने देश के इतने बड़े सितारे को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इतना बेबस देखना आपको भी विचलित कर देता है।
लेकिन उसी इंटरव्यू में निकहत ने दो आश्चर्यजनक वक्तव्य दिये। पहला यह कि वो वू यू के खेल के बारे में नहीं जानती थीं और वू यू पूरी तैयारी कर के आयी थीं। उनका दूसरा वक्तव्य यह था कि दो दिन से उन्होंने खाना नहीं खाया था। यह न समझें कि ओलंपिक खेलों में किसी खिलाड़ी को उसकी आवश्यकता जैसा खाना नहीं मिला होगा। दरअसल, मुक्केबाज़ों और पहलवानों का मामला वजन का होता है। चूँकि वे पचास किलोग्राम समूह में खेल रही थीं, निश्चित ही अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने खाना टाला होगा। अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में जहां आप देश के सम्मान के लिए खेलते हैं ऐसी लापरवाही या अज्ञानता स्वागतयोग्य नहीं है।
निकहत की हार से हम उबरे भी नहीं थे कि हमने उसी रिंग में बॉक्सिंग जगत की शताब्दी की सबसे बड़ी घटना होती देखी। इटली की एंजेला कारिनी ने 66 किलोग्राम वजन में मात्र 46 सेकंड में अल्जीरिया की इमान खेलीफ के विरुद्ध मुकाबला छोड़ दिया। नाक से बहते खून के साथ उन्होंने अपना हेड गियर रिंग के बाहर फेंक दिया। मामला उनकी या उनके प्रतिद्वंद्वी ईमान ख़ेलिफ़ की सेक्सुअलिटी से जुड़ा है। वो औरत हैं या औरत के भेद में मर्द बनकर महिलाओं की मुक्केबाज़ी में उतरे हैं। इस पर अगली पोस्ट पर खुलकर चर्चा करेंगे।