कोरोना वायरस महामारी पर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाए जाने की ख़बरों के बीच पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया है। सोनिया गाँधी ने कहा है कि बीजेपी कोरोना वायरस महामारी के वक़्त भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और नफ़रत का वायरस फैलाना जारी रखी हुई है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, 'मैं आपके साथ कुछ ऐसा भी शेयर करूँ, जिसकी हमें और हर भारतीय को चिंता होनी चाहिए। जब हमें कोरोना वायरस से एकजुट होकर निपटना चाहिए, भाजपा सांप्रदायिक पूर्वग्रह और घृणा के वायरस को फैला रही है। हमारे सामाजिक सौहार्द को नुक़सान हो रहा है। उस क्षति को ठीक करने के लिए हमारी पार्टी, हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।'
कांग्रेस अध्यक्ष की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब तब्लीग़ी जमात का मामला आने के बाद से देश भर में नफ़रत की कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। मुसलिमों के ख़िलाफ़ ऐसे नफ़रत वाले बयान के कारण ही हिमाचल प्रदेश में जम्मू-कश्मीर के 9 मुसलिम मज़दूरों पर हमला कर दिया गया था। सरपंच, वकील और स्थानीय लोग कहते हैं कि हमले का कारण तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम को लेकर 'नफ़रत फैलाने वाला कैंपेन' है। वे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर नफ़रत फैलाने वाले बयान ने लोगों के दिमाग़ में ज़हर घोल दिया है।
पिछले हफ़्ते ही मेरठ के वेलेंटिस कैंसर हॉस्पिटल ने विज्ञापन निकालकर कहा था कि हॉस्पिटल नये मुसलिम मरीजों को तब तक भर्ती नहीं करेगा जब तक कि वह कोरोना नेगेटिव होने की रिपोर्ट नहीं देगा। ऐसी शर्त दूसरे धर्म के लोगों के लिए नहीं थी। बाद में विवाद बढ़ने पर अस्पताल प्रशासन ने माफ़ी माँगी थी। इससे पहले हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भी धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड बनाने की ख़बर आने के बाद ऐसा ही विवाद हुआ था। तब गुजरात सरकार ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। उस हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रींटेंडेंट डॉ. गुणवंत एच राठौड़ ने भी कहा था कि धर्म के आधार पर अलग कोरोना वार्ड नहीं बनाया गया है और उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया है। यानी वह पिछले बयान से पूरी तरह पलट गए। एक दिन पहले ही 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने लिखा था कि राठौड़ ने कहा था कि 'यहाँ हमने हिंदू और मुसलिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए हैं।'
उत्तर प्रदेश से तो कई ख़बरें आ गईं कि मुसलिमों को सब्जी भी नहीं बेचने दी जा रही है। दरअसल, कुछ रिपोर्टों में तो आरोप लगाया गया है कि मीडिया का एक वर्ग ऐसी रिपोर्टिंग कर रहा है कि अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बना है। इस मामले में जमीयत उलेमा ए हिंद ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मीडिया का कुछ हिस्सा तब्लीग़ी जमात के दिल्ली में पिछले महीने हुए कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफ़रत फैला रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने न सिर्फ़ बीजेपी पर नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया बल्कि कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में मोदी सरकार की रणनीति पर भी हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पीपीई और टेस्टिंग को लेकर कांग्रेस के सुझावों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने देश में कोरोना वायरस के फैलने और उसकी रफ्तार पर भी चिंता जताई।
सोनिया गाँधी ने एक आँकड़े का ज़िक्र करते हुए कहा कि लॉकडाउन के पहले चरण में ही 12 करोड़ लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं और ऐसे में 7500 रुपये प्रत्येक परिवार को दिए जाने चाहिए।
सोनिया ने कहा कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा और कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में रचनात्मक सहयोग देने की पेशकश की, ग्रामीण और शहरी ग़रीबों के सामने आने वाली दिक्कतों को दूर करने के उपाय सुझाए। सोनिया ने दावा किया, 'दुर्भाग्य से, उनको केवल आंशिक रूप से और ग़लत तरह से लागू किया गया।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस का पिछले तीन हफ्तों में चिंताजनक रूप से प्रसार बढ़ा है और उसकी गति तेज़ हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन की वजह से समाज के हर तबक़े खासकर किसानों, मज़दूरों, प्रवासी मज़दूरों को बहुत ज़्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।