‘मोदी ने चीन के सामने हाथ जोड़े और वह नेशनल सिक्योरिटी की बात करता है। चीन की सरकार को दो मिनट में पता चल गया कि इसकी तो 4 इंच की छाती नहीं है।’ यह बयान दिया है देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने पार्टी की ओर से नई दिल्ली में आयोजित अल्पसंख्यक सम्मेलन में।
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यह भाषा है राहुल गाँधी की, यह वही राहुल गाँधी हैं जो आज से पहले कई बार अपने भाषण में कह चुके हैं कि हम नफ़रत को प्यार से हरा देंगे। वह अपने भाषणों में मोहब्बत, प्यार जैसे शब्दों का जिक़्र करते रहे हैं। कल ही ओडिशा में एक जनसभा के दौरान जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मोदी मुर्दाबाद का नारा लगाया था तो उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को ऐसा करने से रोका था। लेकिन आज जिस तरह की भाषा का राहुल ने इस्तेमाल किया यह उनके अब तक के बयानों के विपरीत है।
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दूसरी बात यह है कि राहुल गाँधी देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के अध्यक्ष हैं, वह कोई सड़कछाप नेता तो हैं नहीं। राजनीतिक संवाद की एक मर्यादा होती है, इसमें शालीनता होनी चाहिए, इसका ध्यान उन्हें रखना चाहिए था।
राहुल के इस बयान पर सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रतिक्रियाएँ भी आईं। कुछ लोगों ने राहुल की आलोचना की लेकिन कुछ लोग इसके जवाब में राहुल के बचाव में भी उतरे। कुछ लोगों ने कहा कि मोदी और बीजेपी के नेता जब भाषा की शालीनता का ध्यान नहीं रखते तो वह भी क्यों रखें।
टीवी पत्रकार साक्षी जोशी ने कहा राहुल जी, इस तरह की भाषा आपको शोभा नहीं देती।
इस पर श्री श्री 420 जुम्लेश्वर महाराज जी नामक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि मोदी ने सोनिया को कांग्रेस की विधवा कहा था। क्या यह ठीक है?
अर्चना मिश्रा नाम के ट्विटर हैंडल से कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान क्या ठीक हैं?
इरशाह अहमद ने ट्वीट किया कि राहुल गाँधी आप भी नरेंद्र मोदी की भाषा बोलना सीख गए।
मनोज मिश्रा नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि ये बड़े लोग हैं। नेहरू गाँधी परिवार से हैं। इनके तो कपड़े तक पेरिस में धुलते हैं।
मनोरंजन कुमार झा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि राहुल गाँधी यहाँ पर ग़लत है लेकिन उन्होंने यह अपने ही प्रधानमंत्री से सीखा है।
दीपेंद्र सिंह नाम के ट्विटर हैंडल से कहा गया कि मोदी जी और उनकी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को क्या-क्या नहीं बोला?
आज़ाद भल्ला ने ट्वीट किया कि विरासत आपको पार्टी का मुखिया तो बना सकती है पर संस्कार नहीं सिखा सकती l
रमेश साहा ने लिखा कि यह तो कुदरत का नियम है कि जो आप दूसरे को देंगे, वही आपको वापस मिलेगा।
विष्णु द्विवेदी नाम के ट्विटर यूजर ने कहा कि यह आचरण शर्मनाक है।
ट्विटर पर राहुल के आलोचकों और समर्थकों का वाकयुद्ध काफ़ी देर तक चला।