कर्नाटक में गोहत्या विरोधी कानून पर अब फिर से बवाल क्यों?

05:15 pm Jun 06, 2023 | सत्य ब्यूरो

कर्नाटक में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में लिए गए फ़ैसलों पर एक के बाद एक अब विवाद आख़िर क्यों हो रहा है? हाल ही में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध का मुद्दा छाया था और अब गोहत्या से जुड़ा मामला। कांग्रेस सरकार के पशुपालन मंत्री ने इस मुद्दे पर बयान दिया था कि अगर भैंसों की हत्या की जा सकती है, तो गायों की क्यों नहीं। इस पर बीजेपी टूट पड़ी। दो दिनों से वह राज्य में प्रदर्शन कर रही है। अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का जवाब आया है। उन्होंने भी कहा है कि राज्य में गोहत्या विरोधी कानून पर आगामी कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी।

सिद्धारमैया ने कहा है कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून में स्पष्टता की कमी थी और राज्य सरकार कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा करेगी। हालाँकि उन्होंने कहा है कि अभी तक कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है।

सिद्धारमैया को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि इससे पहले उनके मंत्रिमंडल में पशुपालन मंत्री के वेंकटेश ने शनिवार को मैसूरु में कहा था कि अगर भैंसों को काटा जा सकता है, तो गायों को क्यों नहीं? उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'पिछली भाजपा सरकार एक विधेयक लेकर आई थी। उसमें उन्होंने भैंसों की हत्या की अनुमति दी है, लेकिन कहा है कि गोहत्या नहीं होनी चाहिए। हम इस पर चर्चा करेंगे और फैसला करेंगे।'

वेंकटेश की टिप्पणी पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसने सोमवार को पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया। इसने कांग्रेस सरकार को कर्नाटक पशु वध रोकथाम अधिनियम, 2020 को निरस्त करने को लेकर चेतावनी दी। पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए इस कानून ने कर्नाटक गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1964 की जगह ले ली है। नया कानून 2021 में लागू हुआ।

कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम राज्य में मवेशियों की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। केवल 13 वर्ष से अधिक आयु के गंभीर रूप से बीमार मवेशियों और भैंसों की हत्या की अनुमति है।

बहरहाल, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर वेंकटेश के बयान की निंदा की और सिद्धारमैया से अपने सहयोगी को ठीक सलाह देने को कहा। बोम्मई ने कहा, 'पशुपालन मंत्री के वेंकटेश का बयान चौंकाने वाला है। हम उनके बयान की निंदा करते हैं। हम भारतीयों का गाय के साथ भावनात्मक संबंध है और हम उनकी मां के रूप में पूजा करते हैं।'

भाजपा विधायक अश्वत्थ नारायण ने कहा, 'गोहत्या विधेयक को निरस्त करने के लिए कांग्रेस के पास कोई अच्छा कारण नहीं है। कांग्रेस हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ जा रही है। वे सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।'

सिद्धारमैया ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून में स्पष्टता की कमी थी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हम कैबिनेट में इस पर (गौहत्या विरोधी कानून की समीक्षा) चर्चा करेंगे और फ़ैसला लेंगे।'

हिजाब प्रतिबंध पर विवाद

इससे पहले हिजाब प्रतिबंध को लेकर भी विवाद हुआ था। कुछ दिन पहले ही ख़बर आई थी कि कर्नाटक में नई कांग्रेस सरकार राज्य में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटा सकती है। सरकार ने कहा है कि वह एमनेस्टी इंडिया द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर से प्रतिबंध हटाने की मांग किए जाने के मामले पर विचार करेगी।

इस मामले में कर्नाटक के मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जी परमेश्वर ने पिछले महीने कहा था, 'हम भविष्य में देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं। फिलहाल, हमें कर्नाटक के लोगों से की गई पांच गारंटियों को पूरा करना है।' हालाँकि, एक अन्य कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस हिजाब, हलाल कट और गोहत्या क़ानूनों पर से प्रतिबंध वापस लेने पर विचार करेगी।

प्रियांक ने कहा कि अगर राज्य की शांति भंग होती है तो उनकी सरकार बजरंग दल और आरएसएस जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगा देगी, और यदि भाजपा नेतृत्व को यह अस्वीकार्य है तो वे पाकिस्तान जा सकते हैं। हालाँकि, सरकार की ओर से इस पर आधिकारिक बयान नहीं आया है कि इन क़ानूनों को वापस लिया जाएगा या नहीं।

यह विवाद 2021 के दिसंबर महीने में तब शुरू हुआ था जब उडुपी के एक स्कूल की छात्राओं ने शिक्षकों के अनुरोध के बावजूद स्कार्फ हटाने और उसका इस्तेमाल बंद करने से इनकार कर दिया था। दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हिजाब के विरोध में भगवा गमछा पहनकर स्कूल जाना शुरू कर दिया था।

उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह छात्राओं द्वारा शुरू किया गया हिजाब विवाद पिछले साल राज्य में एक संकट बन गया था। हिजाब के बिना कक्षाओं में जाने से इनकार करने वाले छात्रों का अभी भी कहना है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम फ़ैसले का इंतज़ार करेंगे।

हिजाब का यह विवाद तब उछला था जब बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया था। उस आदेश में कहा गया था कि स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड अनिवार्य है और हिजाब पहनने के लिए कोई अपवाद नहीं छोड़ा जा सकता है।