सत्ता की मलाई की चाह किस तरह दुश्मन को दोस्त बना देती है, यह ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे कद्दावर कांग्रेस नेता के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद सामने आ गया था। मध्य प्रदेश की सियासत से जुड़ी दूसरी दिलचस्प ‘तसवीर’ मंगलवार को भोपाल में सामने आयी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी कैबिनेट में कुल पांच मंत्रियों को लेते हुए सिंधिया खेमे के दो पूर्व विधायकों को भी सत्ता में भागीदार बनाया है। जबकि यही शिवराज 2018 के विधानसभा चुनाव में ‘माफ करो महाराज’ को लेकर सिंधिया पर ख़ूब तंज कसते थे।
लाॅक डाउन टू के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में आयोजित सादे समारोह में मंगलवार को तीन विधायकों और दो पूर्व विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। बीजेपी के तीन विधायक नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और मीना सिंह तथा सिंधिया खेमे के पूर्व विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मुख्यमंत्री समेत बीजेपी के कई बड़े नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
शिवराज सिंह ने 23 मार्च को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। कोरोना संक्रमण की वजह से लाॅकडाउन हो जाने के कारण तब वह कैबिनेट का गठन नहीं कर सके थे। लेकिन 29 दिन बाद भी कैबिनेट का गठन न होने को लेकर सवाल उठ रहे थे, लिहाजा शिवराज ने छोटा मंत्रिमंडल बना लिया। लाॅकडाउन खुलने के बाद पुनः कैबिनेट का विस्तार करने का संकेत शिवराज ने दिया है।
टीम शिवराज एक नजर में
नरोत्तम मिश्रा: छह बार के विधायक व पूर्व मंत्री हैं। दतिया का प्रतिनिधित्व करते हैं। पूर्व में उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज कैबिनेट के सदस्य रह चुके हैं। मिश्रा की बीजेपी के कुशल संगठनकर्ताओं में गिनती होती है और वह जोड़-तोड़ के मास्टर माने जाते हैं। मिश्रा ने कमलनाथ सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।
कमल पटेल: पांचवीं बार बीजेपी के टिकट पर हरदा सीट से निर्वाचित हुए हैं। कभी उमा भारती के बेहद क़रीबी रहे हैं। उमा के अलावा बाबूलाल गौर और पूर्व में भी शिवराज कैबिनेट में रहे। गर्म स्वभाव के नेता माने जाते हैं। पटेल ने शिवराज के खिलाफ़ मोर्चा भी खोला था। उन्हें कैबिनेट में जगह मिलने पर राजनीतिक हलकों में आश्चर्य जताया जा रहा है।
मीना सिंह: पांचवीं बार विधायक। उमरिया जिले की मानपुर सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं। मीना सिंह पूर्व में भी मंत्री रह चुकी हैं। महिला और आदिवासी वर्ग से होने के नाते कैबिनेट में मिली जगह। शांत और सरल स्वभाव की नेता मानी जाती हैं।
तुलसी सिलावट: ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थक। इंदौर जिले की सांवेर सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 का चुनाव जीते थे। कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाये गये। चार बार विधायक रह चुके हैं। इस्तीफा देकर सिंधिया के साथ बीजेपी में आये। छह महीने में चुनाव जीतना होगा, नहीं तो चला जायेगा मंत्री पद।
गोविंद सिंह राजपूत: सागर जिले की सुर्खी सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 का चुनाव जीते थे। तीसरी बार विधायक बने। कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाये गये। सिंधिया की वजह से ही मंत्री और विधायक पद छोड़ा। इन्हें भी छह महीने में चुनाव जीतना होगा, नहीं जीते तो मंत्री पद हाथ से निकल जायेगा। आपा खो देने के आरोपों से अक्सर घिरे रहते हैं।
उमा भारती भी पहुंचीं राजभवन
शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी पहुंचीं। उनके अलावा बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी के कुछ विधायक और सीमित संख्या में अन्य नेता भी शामिल हुए।
बिना मास्क के दिखे राज्यपाल-मुख्यमंत्री
शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान काफी हद तक कोरोना वायरस के प्रोटोकाॅल का पालन किया गया। शपथ ग्रहण कार्यक्रम को संपन्न कराने का दायित्व निभाने वाले अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी मास्क पहने नजर आये। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी शपथ ग्रहण समारोह में हुआ।
राज्यपाल लालजी टंडन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बिना मास्क लगाये समारोह का हिस्सा बने। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने शपथ ग्रहण की पूरी कार्रवाई कराई। पूरे समय मास्क उनके गले में लटका नजर आया। स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों के कोरोना से संक्रमित होने पर बैस भी क्वरेंटीन में रहे थे। पांचों लोगों ने भी बिना मास्क लगाये ही शपथ ली।
मध्य प्रदेश में घरों से बाहर निकलने पर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। मास्क ना लगाने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई का आदेश भी जारी किया गया है। कोरोना संक्रमण की वजह से मीडिया को शपथ ग्रहण समारोह में प्रवेश नहीं करने दिया गया। सरकारी तंत्र और अधिकृत एजेंसी से मिली फीड के जरिये क्षेत्रीय न्यूज़ चैनलों ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया।