मध्य प्रदेश में जैसे-तैसे मंत्रिमंडल का विस्तार तो हो गया लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तक अपने मंत्रियों को विभाग तक नहीं बांट पाये हैं। विभागों का बंटवारा पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा उनके समर्थक मंत्रियों को मलाईदार विभाग मिलने पर ‘जोर’ देने की वजह से अटका बताया जा रहा है।
बता दें, शिवराज सिंह ने अपनी कैबिनेट में 28 नए चेहरे शामिल किए हैं। इन चेहरों में नौ सिंधिया खेमे से हैं। जबकि तीन ऐसे कांग्रेस के पूर्व विधायकों को भी मंत्री बनाया गया है, जिन्होंने सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के साथ क़दमताल करते हुए कमलनाथ की सरकार गिराने में बीजेपी का साथ दिया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अप्रैल महीने में मिनी कैबिनेट बनाई थी और तब पांच सदस्यों को मंत्री बनाया था। मिनी कैबिनेट में सिंधिया के दो समर्थक गैर विधायकों को मंत्री बनाया गया था। इस तरह से शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की कुल संख्या 11 हो चुकी है और मुख्यमंत्री सहित कुल 34 सदस्य कैबिनेट में हो गए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को नए सिरे से विभागों का बंटवारा करने में भारी पसीना आ रहा है। कैबिनेट के विस्तार से पहले ही सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों के इच्छित विभागों को लेकर अपनी पसंद, शिवराज और केन्द्रीय नेतृत्व को बता चुके हैं। विस्तार के बाद भी शुक्रवार को भोपाल में सिंधिया की शिवराज सिंह से लंबी चर्चा हुई थी।
शिवराज सिंह ने करीब पांच घंटे सिंधिया की मौजूदगी में उनके सभी समर्थक मंत्रियों से 15-15 मिनट तक वन-टू-वन चर्चा भी की थी। चूंकि सभी मंत्रियों को उपचुनाव के लिए मैदान में जाना है, लिहाजा तमाम गुणा-भाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने रखा गया था।
अहम विभागों पर है निगाह
कमलनाथ सरकार में सिंधिया खेमे के पास स्वास्थ्य, राजस्व, महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, परिवहन, श्रम और खाद्य विभाग थे। बताया जा रहा है कि सिंधिया ये विभाग अपने समर्थकों को दिलाने की जुगत में हैं। इन विभागों के अलावा कुछ अन्य अहम विभागों पर भी सिंधिया और उनके सहयोगी मंत्रियों की निगाहें हैं।
शिवराज सिंह और बीजेपी, कैबिनेट विस्तार के समय अपने विधायकों के सामने असहाय नजर आ चुके हैं। सिंधिया समर्थकों को कैबिनेट में एडजस्ट करने के चक्कर में शिवराज और बीजेपी को अपनी पार्टी के अनेक काबिल और वरिष्ठ विधायकों को मंत्री पद से वंचित करना पड़ा है।
विभागों के बंटवारे में बीजेपी से ही आने वाले मंत्री खुद को अपमानित महसूस ना करें, इस तरह के प्रयास बीजेपी और शिवराज करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि सिंधिया कई महकमों को लेकर सीधे-सीधे अड़ जाने वाली ‘मुद्रा’ अपनाये हुए हैं, लिहाजा बताया गया है कि शिवराज को सामंजस्य बैठाने में खासी तकलीफ पेश आ रही है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बीते दो दिनों में शिवराज ने कई बार सूची बनाई और बिगाड़ी है। लेकिन हर बार कोई ना कोई पेच लग जा रहा है। केन्द्र से कथित तौर पर फ्री हैंड ना होने से भी शिवराज की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने शनिवार को भी संगठन के पदाधिकारियों से इस संबंध में विचार-विमर्श किया है। प्रदेश स्तर पर विमर्श हो जाने के बाद केन्द्र के नेताओं से भी विभाग वितरण की सूची पर अंतिम मुहर के लिए चर्चा करनी होगी।
सूत्रों का दावा है कि जो हालात हैं उन्हें देखते हुए मुख्यमंत्री को विभागों के वितरण के काम में अभी एक-दो दिन और लग सकते हैं।