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शिवसेना के नए प्रमुख शिंदे क्या पार्टी को नई दिशा दे पाएंगे?

शिवसेना के नए प्रमुख शिंदे क्या पार्टी को नई दिशा दे पाएंगे?

शिवसेना का नया प्रमुख मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को चुना गया है। लेकिन सवाल है कि शिंदे क्या इस पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं को एकजुट कर पाएंगे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद पार्टी की गतिविधियां तेज कर दी हैं। मंगलवार रात एकनाथ शिंदे ने शिवसेना राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुंबई के पांच सितारा होटल में बुलाई जिसमें कई अहम प्रस्ताव पास हुए। इन सभी प्रस्तावों में सबसे बड़ा प्रस्ताव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी का प्रमुख बनाने का हुआ है। यानि कि जिस तरह उद्धव ठाकरे शिवसेना पार्टी प्रमुख हुआ करते थे उसी की तर्ज पर अब एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख होंगे। इसी के साथ यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या एकनाथ शिंदे शिवसेना पर अपनी पकड़ ठाकरे परिवार की तरह बना पाएंगे। शिंदे की असली परीक्षा अब शुरू होगी। अगर शिवसेना के पुराने कार्यकर्ता शिंदे के नेतृत्व को स्वीकार कर पार्टी में लौटते हैं तो यही असली शिवसेना बन जाएगी, लेकिन जिस ठाकरे परिवार ने शिव सेना को खड़ा किया है, क्या वो इतनी आसानी से इस हार को स्वीकार कर लेगा।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जैसे-जैसे शिवसेना पार्टी पर पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं वैसे वैसे उद्धव ठाकरे बैकफुट पर होते हुए दिखाई दे रहे हैं। मंगलवार को मुंबई के पांच सितारा होटल में बुलाई गई शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का प्रतिनिधित्व खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया। इस बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास हुआ कि एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख होंगे। इस बैठक में एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी से संबंधित सभी फैसले लेने का अधिकार दिया गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक उस समय हुई है जब बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना पार्टी में चल रही अंदरूनी लड़ाई को लेकर सुनवाई होनी है। 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में कई दूसरे प्रस्ताव भी पेश हुए जिन पर मोहर लगी। इस बैठक में वीर सावरकर को भारत रत्न दिया जाए इस बारे में भी प्रस्ताव पास हुआ। इसके अलावा मुंबई के चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर करने का प्रस्ताव भी पेश हुआ। इसके अलावा पूर्व में उद्धव ठाकरे के करीबी नेताओं में समझे जाने वाले और अब बगावत करके एकनाथ शिंदे ग्रुप में शामिल हुए रामदास कदम के बेटे सिद्धेश कदम को शिवसेना का सचिव बनाया गया है। बता दें कि रामदास कदम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाते हैं। 

इसके अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में महाराष्ट्र की सभी परियोजनाओं में 80 फ़ीसदी रोजगार भूमि पुत्रों और स्थानीय युवाओं को देने की मांग भी रखी गई। इसके अलावा मराठी भाषा को अंतरराष्ट्रीय दर्जा देने का प्रस्ताव इस बैठक में पास हुआ है। इसके अलावा यूपीएससी और एमपीएससी की परीक्षाओं के लिए मराठी छात्रों को किस तरह से तैयार किया जा सके इस बारे में भी प्रस्ताव पास हुआ है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमने आज एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी जिसमें सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख होंगे। उदय सामंत ने कहा कि पार्टी के सभी नेताओं ने शिंदे को शिवसेना के प्रमुख नेता के रूप में स्वीकार कर लिया है। 

उदय सामंत ने यह भी बताया कि पार्टी के खिलाफ का काम करने वालों पर कार्रवाई करने के लिए 3 सदस्य कमेटी का भी गठन किया है, जिसमें मंत्री दादा भूसे, शंभूराजे देसाई और संजय मोरे शामिल है। यह कमेटी पार्टी विरोधी काम करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने का काम करेगी।

इससे पहले मंगलवार को संसद भवन में शिवसेना को आवंटित कार्यालय एकनाथ शिंदे गुट को मिल गया था। इस कार्यालय को लोकसभा सचिवालय के आदेश के बाद एकनाथ शिंदे गुट को दिया गया था। बता दें कि संसद भवन में कमरा नंबर 128 शिवसेना को संसदीय पार्टी बतौर आवंटित किया गया था। 

मंगलवार को मुंबई में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले एकनाथ शिंदे गुट ने मीडिया से उसे शिवसेना कहने को कहा था। इस बारे में शिवसेना सचिव संजय मोरे ने एक पत्र जारी किया था और कहा था कि चुनाव आयोग ने उन्हें शिवसेना पार्टी का मालिकाना हक दे दिया है लिहाजा मीडिया में उन्हें शिंदे गुट कहने की बजाय शिवसेना कहा जाए। 

मंगलवार को उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर जो मामला चल रहा है उस पर जल्द फैसला किया जाए। उद्धव ठाकरे  चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है जिसमें उसने शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे को देने का आदेश जारी किया था।

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