बीजेपी-शिवसेना तल्ख़ी महज पोजिशनिंग की अपनी-अपनी कोशिशें?

08:40 pm Feb 18, 2019 | सुशोभन पटणकर - सत्य हिन्दी

गठबंधन में वर्षों साथ-साथ रहने के बावजूद शिवसेना बीजेपी पर लगातार हमले करती रही है। इन दिनों वह पहले से ज़्यादा मुखर है। यहां तक की शिवसेना के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाना बनाया। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के निशाने पर मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रहे हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या आगामी चुनावों में शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग राह पर चल पडेंगी  

शिवसेना और बीजेपी महाराष्ट्र में लगभग 30 साल से गठबंधन में हैं। साल 1995 में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन ने महाराष्ट्र में साझा सरकार बनाई। उस वक्त शिवसेना के मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री थे, केन्द्र में भी शिवसेना के सांसद मन्त्रिमंडल का हिस्सा रहे। 2014 में लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने सफलता हासिल की। लेकिन केंद्र में सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी पार्टी के तेवर महाराष्ट्र में बदल गए। 2014 के अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव मे बीजेपी और शिवसेना-गठबंधन नहीं बना, दोनोंं पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। राज्य में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी ने सरकार बना ली, लेकिन पहले शिवसेना उसमें शामिल नहीं हुई। काफ़ी ज़द्दोजहद के बाद शिवसेना सरकार में शामिल तो हुई, लेकिन बीजेपी-शिव सेना में अनबन होती रही। 

मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

शिवसेना 2014 के चुनाव के बाद से ही अपने मुखपत्र सामना के ज़रिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर बीच बीच में हमले करती रही। इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य नेताओं ने शिव सेना पर कोई टीका टिप्पणी नहीं की। 2018 में इन दोनों पार्टियों के बीच तल्ख़ी और बढी।  

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाना बनाया। केंद्र सरकार के नोटबंदी, जीएसटी और अन्य कदमों की शिवसेना ने खूब आलोचना की। 2018 में शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में रैली कर राम जन्मभूमि का मुद्दा उठाया और बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश की।

ऐसे में यह कयास लगाने जाने लगा कि 2019 में बीजेपी और शिवसेना में महाराष्ट्र में गठबंधन होगा या नहीं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यह तक कह दिया कि अगर उनसे टकराएंगे तो पटक दिए जाएँगे। इस बयान के बाद यह लगने लगा था कि अब सेना और बीजेपी का गठबंधन नहीं हो पाएगा। दूसरी ओर राज्य में प्रमुख विरोधी दल राष्ट्र्वादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन बना लिया। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आए चुनाव  परिणामों के बाद राज्य में बीजेपी को गठबन्धन कि जरूरत महसूस होने लगी। 

उद्धव ठाकरे ने अयोठध्या जाकर बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया।

दोनो पार्टियों के बीच तल्ख़ी कम करने के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए गए। मुंबई में बाल ठाकरे का स्मारक बनाने के लिए जगह दी गई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्मारक की आधारशिला रखी। खबरें यह भी आ रही है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव सेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भोजन के लिए बुलाया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है क्या बीजेपी और शिव सेना के बीच गठबंधन होगा

शिवसेना और बीजेपी गठबंधन के शुरुआती दिनों से ही इन दोनो पार्टीयों के बीच लोकसभा और विधानसभा सीटों के बंटवारे का फ़ॉर्मूला अलग-अलग रहा है। बीजेपी लोकसभा चुनावों में ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खडे करती है, विधानसभा चुनावों में शिवसेना के पक्ष में ज्यादा सीटें आवंटित होती रही हैं। लेकिन 2014 में लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी ने मोदी लहर का फायदा उठाने के लिए पुराने फ़ॉर्मूले पर पुनर्विचार की मांग की। उसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का फैसला भी चुनाव नतीजों के आधार पर करने पेशकश की, शिवसेना ने इसे नही माना और दोनों पार्टियों ने 2014 विधानसभा चुनावों में अलग राह चलने का फैसला किया। 2019 में अब शिवसेना नरमी नही बरतना चाहती। 

बीजेपी के रवैए से आहत शिवसेना लोकसभा चुनावों से पहले सीटों के बँटवारे में बराबरी का हिस्सा मांग रही है। बिहार में बीजेपी और जद(यू) के बीच हुए समझौते को आधार मानकर अब महाराष्ट्र में भी बिहार के फ़ॉर्मूले को अंमल में लाने की मांग शिवसेना की तरफ से हो रही है।

उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में ही हे, लिहाज़ा, बीजेपी और मोदी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। गठबंधन नहीं हुआ तो शिवसेना में दरार पड़ सकती है। महाराष्ट्र में कामयाबी हासिल करना बीजेपी की मजबूरी है, वहीं शिवसेना के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है। शिवसेना बीजेपी की प्रमुख विरोधी राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान हो चुका है और सीटों के बंटवारे का फ़ॉर्मूला भी इन दोनो पार्टीयों ने बना लिया है। इस वजह से भी शिवसेना और बीजेपी पर गठबंधन बनाने का दबाव बढता जा रहा है। जानकारों की माने तो शिवसेना और बीजेपी के बीच जो तल्ख़ी की खबरें आ रही हैं वह उनकी राजनीति का हिस्सा है। इन दोनों पार्टियों के बीच गठबन्धन कि पूरी संभावना है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सेना और बीजेपी किसी फ़ॉर्मूले पर सहमत होंगे और गठबन्धन बनेगा, हालाँकि विधानसभा चुनावों में इन पार्टियो के बीच टकराव की स्थिति बन सकती हे।

लेकिन यह गठबंधन अंतर्विरोध से भरा हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद क्या विधानसभा चुनाव में गठबंधन जारी रहेगा अगर यह गठबंधन बना रहा तो शिवसेना और बीजेपी की इस गठबंधन में क्या भूमिका होगी महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और क्या की जनता अंतर्विरोध से भरे हुए गठबंधन को वोट देगी इन सवालों का जवाब अभी देना मुश्किल है।