शिंदे सरकार ने परमबीर सिंह पर से क्यों हटाए सारे आरोप?
उद्धव ठाकरे सरकार में मुंबई पुलिस के प्रमुख रहे परमबीर सिंह की सरकार से ही ठन गई थी। उनपर कई आरोप लगे थे, एफ़आईआर दर्ज हुई थी। वह एक समय छिपते फिर रहे थे। एक समय तो सुप्रीम कोर्ट को भी बताने को तैयार नहीं थे कि वह कहाँ हैं। अब उन्हीं परमबीर सिंह के खिलाफ़ लगे सभी आरोपों को उद्धव के विरोधी एकनाथ शिंदे सरकार ने हटा दिया है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने दिसंबर 2021 में परमबीर सिंह के खिलाफ जारी निलंबन आदेशों को रद्द कर दिया और निलंबन की अवधि को 'ड्यूटी पर' मानने का आदेश दिया है। तो सवाल है कि ऐसा कैसे हो गया?
महाराष्ट्र में पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघडी सरकार ने परमबीर सिंह को 'अनुशासनहीनता और अन्य अनियमितताओं' के लिए निलंबित कर दिया था। एमवीए सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की थी।
परमबीर सिंह पर जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे थे। परमबीर सिंह और छह पुलिस अधिकारियों समेत 28 अन्य के खिलाफ जुलाई 2021 में रंगदारी का मामला दर्ज किया गया था। इन पर एक बिल्डर से पैसे ऐंठने का भी आरोप है।
शिकायतकर्ता केतन तन्ना ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2018 से फरवरी 2019 तक ठाणे पुलिस आयुक्त के रूप में परमबीर सिंह ने उनसे 1.25 करोड़ रुपये वसूले थे। तन्ना ने आरोप लगाया था कि परमबीर सिंह ने उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी दी थी।
बिल्डर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल की शिकायत पर गोरेगांव थाने में परमबीर सिंह के खिलाफ जबरन वसूली का एक और मामला दर्ज किया गया था। अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि परमबीर सिंह ने दो बार और रेस्तरां पर छापा नहीं मारने के लिए उनसे 9 लाख रुपये वसूले, जिन्हें वह साझेदारी में चलाते थे। उन्हें उनके लिए लगभग 2.92 लाख रुपये के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए भी मजबूर किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि यह घटना जनवरी 2020 से मार्च 2021 के बीच हुई।
बहरहाल, अब जब सभी आरोप ख़त्म कर दिए गए हैं तो परमबीर सिंह के निलंबन को रद्द करने के फैसले को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सही ठहराया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के फ़ैसले ने परमबीर सिंह के खिलाफ विभागीय जांच को गलत बताया है और जांच को बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा विभागीय जांच के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया था, जो अब गलत साबित हो चुका है। परमबीर सिंह के निलंबन को वापस लेने का आदेश सीएटी से आया, और इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने निर्णय लिया'।
2021 में दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों के साथ एक एसयूवी मिलने के बाद परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया था और होम गार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में इस मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े को गिरफ्तार किया गया था। परमबीर सिंह ने बाद में राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने सचिन वाज़े को हर महीने मुंबई के होटलों और बार से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था।
अनिल देशमुख ने इन आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि ये उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई घर के बाहर सुरक्षा चूक के लिए परमबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए उनके प्रयास थे। जब परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ बहुत सारे आरोप लग गए तो वह लापता हो गए थे। कयास तो यह भी लगाए गए थे कि कहीं वह विदेश तो नहीं भाग गए। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुँचा था। बाद में वह सामने आए और मुक़दमों का सामना कर रहे थे।