लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ रहे तनाव को दूर करने और मामले के शांतिपूर्ण निपटारे के लिए चीन और भारत के वरिष्ठ अफ़सरों की बैठक होने वाली है। यह बैठक 6 जून को होगी और इसमें दोनों पक्षों के लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर के अफ़सर भाग लेंगे।
भारतीय टीम की अगुआई लेह स्थित 14वीं कोर के प्रमुख करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बातचीत होने की पुष्टि कर दी है।
स्थानीय कमांडर नाकाम
इसके पहले दोनों सेनाओं के स्थानीय कमान्डरों के बीच की बातचीत नाकाम रही थी। भारत और चीन में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है, जिसका कोई ठोस नतीजा अब तक सामने नहीं आया है। ऐसे में इतने वरिष्ठ अफ़सरों के स्तर पर बातचीत होने की साफ़ मतलब है कि दोनों देश इस समस्या का जल्द निपटारा चाहते हैं और इसे लेकर गंभीर हैं।यह स्थिति 2017 के डोकलाम संकट से अलग है, जिसमें मामला लगभग 3 महीने तक खिंच गया था और सैनिक अफ़सरों की तमाम बातचीत नाकाम रही थी। उस समस्या का निपटारा अंत में राजनयिक स्तर पर ही निकला था और चीन ने अपनी सेना भारत-चीन-भूटान की सीमा से वापस बुला ली थी।
क्या कहना है रक्षा मंत्री का
राजनथा सिंह ने न्यूज़ 18 से कहा, 'यह सच है कि चीन की सीमा पर तनाव है, चीन एक निश्चित बिन्दु तक अपना दावा करता है और भारत एक दूसरे बिन्दु तक, दोनों में इस पर मतभेद हैं। चीन ने अच्छी तादाद में सैनिक जमा कर रखा है, जो ज़रूरत पड़ी है, भारत ने भी किया है।'इसके पहले भी वरिष्ठ अफ़सरों की बैठकों के कई दौर हुए हैं, जो नाकाम रहे हैं। इसी मंगलवार को दोनों देशों के मेज़र जनरल स्तर के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें भारत की ओर से लेह-स्थित तीसरे माउंटेन डिवीज़न के जनरल ऑफिसर इन कमान्ड ने शिरकत की। लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर के अफ़सरों के बीच बैठक शनिवार को होगी।
इस बैठक का मक़सद दोनों देशों की सेनाओं के बीच फ़िलहाल चल रही गतिविधियों को रोकना है। सीमा पर दोनों सेनाओं के अतिरिक्त सैनिक जमा हैं और भारी साजो-सामान पहुँचा दिए गए हैं। इन्हें वहां से वापस हटाना, यह लक्ष्य है।
इस बैठक में यह भी कोशिश की जाएगी पहले की स्थिति बहाल कर ली जाए और दोनों सेनाएं उन स्थानों तक लौट जाएं जहां वे इस संकट के शुरू होने के पहले तक थीं।
दरअसल गलवान घाटी में भिंचे हुए मुक्के की तरह की भौगोलिक संरचना है, जहां 5 अंगुलियों की तरह की संरचनाएं हैं। इसमें चीन का दावा एक अंगुली तक है, जिसे भारत खारिज करता है। भारत का दावा जिस अंगुली तक है, चीन उसे नकारता है। इसलिए दोनों देशों के सैनिक बीच बीच में इस विवादित जगह पर गश्त लगाते रहते हैं।
इस बार गश्त लगा कर लौटने के बजाय चीनी सैनिक वहीं रुक गए। भारतीय सैनिकों ने वहां से पहले की तरह लौट जाने को कहा, पर चीनी सैनिकों ने इससे यह कह कर इनकार कर दिया कि यह उनका इलाक़ा हैं। संकट की शुरुआत इसी से हुई है। फिर मामला बढ़ता गया।