सामना में पीएम के ख़िलाफ़ लेख लिखने के लिए राउत पर एफ़आईआर
यवतमाल पुलिस ने शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए यह मुक़दमा दर्ज कराया गया है। उन पर राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया है। राउत के ख़िलाफ़ यह मामला पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखे उनके लेख से जुड़ा है।
यह मामला बीजेपी के यवतमाल जिला समन्वयक नितिन भुटाडा द्वारा राज्यसभा सदस्य और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत के खिलाफ दायर शिकायत पर आधारित है। शिकायत में भुटाडा ने दावा किया कि राउत ने 10 दिसंबर को पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक लेख लिखा था।
पुलिस का कहना है कि केस दर्ज किया गया है और जल्द इसकी जाँच शुरू की जाएगी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, संजय राउत ने अपने बयान में कहा, 'मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया है क्योंकि मैंने प्रधानमंत्री के खिलाफ बोला था। देश में अभी भी लोकतंत्र है।'
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार संजय राउत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (ए) (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505 (सार्वजनिक शरारत पैदा करने वाले बयान) (2) और 124 (ए) (राजद्रोह) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
संजय राउत लगातार बीजेपी और खासकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रहे हैं। वह पीएम मोदी की नीतियों के आलोचक रहे हैं। उनपर आरोप लगाते रहे हैं कि वह देश में लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। राउत विपक्षी गठबंधन इंडिया की ओर से भी काफी मुखर आवाज़ उठाते रहे हैं। कुछ महीने पहले ही राउत ने सलाह दी थी कि अगर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ती हैं, तो वह निश्चित रूप से जीत हासिल करेंगी।
बता दें कि इसी साल मई में राउत पर महाराष्ट्र के नासिक में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। राउत के बयान से पुलिस और जनता के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया गया था। मुक़दमा दर्ज होने के एक दिन बाद राउत ने प्रतिक्रिया में कहा था कि उन्होंने तो सिर्फ़ यह कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद यह सरकार गैरकानूनी है और ऐसे में अधिकारी सोच-समझकर सरकार के आदेश का पालन करें।
उन्होंने तब पूछा था कि मेरा अपराध क्या है? राउत ने कहा था, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार के गठन को अवैध घोषित कर दिया गया है। व्हिप से लेकर खेमे के नेता के रूप में शिंदे के चुनाव तक, सब कुछ संविधान के खिलाफ तय किया गया है। किसी भी समय सोलह विधायकों के अयोग्य होने की संभावना है। प्रशासन अवैध सरकार के आदेशों का पालन न करे।..."