कोरोना वायरस के ख़ौफ़ और काम-धंधे बंद होने के चलते दूसरे प्रदेशों से अपने राज्य बिहार आये 1.8 लाख लोगों की अब तक स्क्रीनिंग की जा चुकी है। नीतीश कुमार सरकार ने इस बात से राहत की सांस ली है कि अभी तक इनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना का पॉजिटिव नहीं पाया गया है। जबकि कुछ दिन पहले जब महानगरों से बड़ी संख्या में प्रवासी अपने राज्य पहुंचे थे तो राज्य में कोरोना वायरस फैलने का ख़तरा बढ़ गया था।
राज्य सरकार ने कहा है कि 1.8 लाख लोगों में से 1 लाख लोग अपने परिवारों के पास वापस जा चुके हैं और वहां उनका 14 दिन का क्वरेंटीन का समय भी पूरा होने वाला है। सरकार के मुताबिक़, राज्य में प्रवेश करते समय पहली बार इन लोगों की स्क्रीनिंग की गई और फिर जब वे अपने जिलों में गये तो वहां भी उनकी स्क्रीनिंग हुई। बाक़ी लोग सरकार द्वारा बनाये गये क्वरेंटीन सेंटर्स में हैं।
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अभी तक 4,991 लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है। इनमें से 2 हज़ार लोग प्रवासी हैं और ये लोग और इनके रिश्तेदार दूसरे देशों में गये थे। राज्य में अभी तक 58 लोग संक्रमित मिले हैं और इनमें से अधिकांश लोग या तो दूसरे देशों में गये थे या विदेश गये लोगों के संपर्क में आये थे।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने बताया, ‘पहली बार में सरकार ने बाहर से आये 27,300 लोगों और दूसरी बार में 55 हज़ार लोगों की स्क्रीनिंग की है। डॉक्टर्स के मुताबिक़, इनमें से 1 फ़ीसदी से भी कम लोगों में संक्रमण के लक्षण हैं।’ उन्होंने कहा कि राज्य में जो लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं वे मध्य-पूर्व के देशों में गये थे या उनका तब्लीग़ी जमात से कोई संबंध था।
कुल मिलाकर बिहार के लिये यह बेहद राहत की बात है कि राज्य में वापस लौटे लोग इस वायरस से संक्रमित नहीं पाये गये हैं। लेकिन फिर भी राज्य सरकार को इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि सीवान और बेगूसराय में बीते कुछ दिनों में पॉजिटिव मामले सामने आये हैं।