ओबीसी आरक्षण के बिना होंगे एमपी में निकाय चुनाव: SC
मध्य प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनाव अब बिना ओबीसी आरक्षण के ही होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह साफ़ कर दिया। इसने चुनाव आयोग को 15 दिनों के भीतर अधिसूचना जारी करने का भी निर्देश दिया है। इस मामले में सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर एक अंतरिम आदेश पारित किया। इसने निर्देश दिया कि मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग को मौजूदा वार्डों के अनुसार 20,000 से अधिक स्थानीय निकायों के चुनावों के कार्यक्रम को स्थगित किए बिना दो सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करनी ही चाहिए। इसने यह भी साफ़ कर दिया कि ओबीसी आरक्षण देने और आगे की परिसीमन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 'ट्रिपल टेस्ट' अभ्यास के पूरा किए बिना ही चुनाव कराया जाए।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फ़ैसला सुनाया। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने कहा कि संवैधानिक जनादेश है कि 5 साल का कार्यकाल समाप्त होने पर सभी निकायों के लिए नए सदस्यों का चुनाव किया जाना चाहिए और यह भी कि पद पर आसीन लोग अपने कार्यकाल से छह महीने से अधिक समय तक जारी नहीं रह सकते हैं। कोर्ट ने साफ़ किया कि परिसीमन की प्रक्रिया 'लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों द्वारा' शासन के सिद्धांत को बाधित करने के लिए एक वैध आधार नहीं हो सकती है।
ओबीसी आरक्षण पर जोर देने वाले राजनीतिक दलों को भी सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कड़ा संदेश दिया है और कहा है कि ओबीसी के पक्ष में होने का दावा करने वाले राजनीतिक दल सामान्य श्रेणी की सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को नामित करने पर विचार कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए कई जानकारियों पर मध्य प्रदेश की सरकार को जोरदार फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दो साल से स्थानीय निकायों की सीटें खाली रहने पर हैरानी जताते हुए दो टूक कहा था कि ओबीसी को आरक्षण नहीं देने पर आसमान नहीं गिर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रदेश में दो साल से इन सीटों पर पंचायत और नगर निकायों के लिए चुनाव नहीं होना ‘क़ानून के शासन का उल्लंघन’ है।
अदालत ने पिछले हफ़्ते स्पष्ट किया था कि अगर वह संतुष्ट नहीं हुई तो वो प्रदेश में बिना देरी के ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव कराने के आदेश देगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चाही गई जानकारियों को शुक्रवार को अदालत के सामने रख दिया। सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 110 पेज की रिपोर्ट और 600 पेज का एनेक्सचर पेश किया गया है। राज्य में 48 प्रतिशत ओबीसी आबादी बताते हुए 35 प्रतिशत आरक्षण देने का अनुरोध सरकार द्वारा किया गया।
समीक्षा याचिका दायर करेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि वह इस मामले में समीक्षा याचिका दायर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि 'हम ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायतों और नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने के पक्ष में है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण करके रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी।'
इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। नयी दुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया ने कहा कि 'हमने पहले ही आशंका जाहिर की थी कि आधी अधूरी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण निर्धारित नहीं हो सकता है। सरकार की मंशा ही नहीं है कि पिछड़ा वर्ग को उनका हक मिले।'