सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से कहा है कि वह दिल्ली पुलिस के इस आरोप का जवाब दें कि सीएए के ख़िलाफ़ आन्दोलन में उन्होंने नफ़रत फैलाने वाली बातें कही थीं। लेकिन हर्ष मंदर के लिए राहत की बात यह है कि अदालत ने उन्हें अमानना का नोटिस नहीं दिया है।
दिल्ली पुलिस ने एक एफ़िडेविट में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मंदर ने जामिया मिल्लिया इसलामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ आयोजित एक कार्यक्रम में नफ़रत फैलाने वाली बातें कही थीं।
पुलिस ने उन पर भड़काऊ बयान देकर हिंसा के लिए लोगों को उकसाने का आरोप भी लगाया है। पुलिस ने यह भी कहा है कि इस मानवाधिकार कार्यकर्ता ने न्यायपालिका की अवमानना की है और उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाई है।
दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि हर्ष मंदर का एक और वीडियो सामने आया है। हर्ष मंदर का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ता की बातें न तो अदालत की अवमानना थीं न ही किसी का अपमान किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि दरअसल सरकार ही हर्ष मंदर को धमकाना चाहती है।