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टैक्स बढ़ाओ और मुसलमानों की पिटाई दिखा दो तो सब चंगा सी!

टैक्स बढ़ाओ और मुसलमानों की पिटाई दिखा दो तो सब चंगा सी!

मजदूरी करने वाले मुफ्त का पांच किलो अनाज लेकर मौज में है। मध्यम वर्ग टैक्स चुपचाप निकालकर दे देता है। बड़े उद्योगपति करोड़ों लेकर फरार हो जाते हैं। तो लोग आख़िर मगन किस चीज को लेकर हैं?

एक बेहद प्रचलित लोकोक्ति है, जो हरियाणा से लेकर बिहार तक पूरी हिंदी पट्टी में बार-बार दोहराई जाती है---

माया तेरे तीन नाम

परसू परसा परसराम

नाम हैसियत के हिसाब से बदलते हैं। सबसे गरीब आदमी परसू, उससे थोड़ा बेहतर परसा और सबसे संपन्न आदमी का नाम परसराम जी। 

परसू बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाता है। वह स्थायी रूप से दुखी है। करीब बीस साल पहले परसू के लिए सौ दिन की रोजगार गारंटी योजना आई। उसे अपने आप गांव में काम मिलने लगा। भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर आठ फीसदी को छूने लगी। लेकिन ये बात परसराम जी को पसंद नहीं आई।

परसराम जी खुलकर कहने लगे कि परसू तो अपने गांव में मजदूरी कर रहा है, हमारे लहलहाते खेत कौन काटेगा? हमारी फैक्टरियों के लिए सस्ते मजदूर कहां से आएंगे? परसराम जी इतने हताश हो गये कि उन्होंने मान लिया कि भारत का कुछ नहीं हो सकता। अब उन्हें हवाई जहाज में बैठकर माल्या और मोदी की तरह बाहर जाना पड़ेगा। 

लेकिन धन्य हो मोदीजी। तारणहार बनकर सत्ता में आये और एक झटके में परसू और परसराम जी दोनों के दर्द का इलाज कर दिया।  मोदीजी भारत की विफलता के प्रतीक मनरेगा के गड्ढों को तेजी से भरने लगे। परसू अब मुफ्त का पांच किलो अनाज लेकर मौज में है। अगर उसके राज्य में चुनाव होंगे तो एकाउंट में सीधे पैसे आएंगे। वोट डालने के लिए नकदी मिलेगी सो अलग।

परसराम जी भी संतुष्ट हैं क्योंकि जानते हैं कि सरकार अपनी है। वो ट्रस्ट बनाकर और एकाउंट में हेर-फेर करके टैक्स बचा सकते हैं। अगर उन्होंने बड़ा लोन लिया और डिफॉल्ट भी कर गये तो कोई बात नहीं। सरकार मैनेज कर लेगी। लेकिन सरकार मैनेज करेगी कैसे?

परसा है ना! शक्ल से लुटा-पिटा लगता है। बढ़ती महंगाई और घटते इनक्रीमेंट का रोना रोता रहता है लेकिन असल में बहुत माल छिपा रखा है तभी तो जितना टैक्स मांगो चुपचाप निकालकर दे देता है। कभी शोर नहीं मचाता, कभी सड़क पर नहीं आता। 

परसा इनकम टैक्स और जीएसटी मिलाकर अपने आय का आधे से ज्यादा हिस्सा सरकार के हवाले कर देता है। लेकिन सरकार जानती है कि उसने अब भी काफी माल छिपा रखा है। इसलिए जीएसटी और ज्यादा बढ़ाने की तैयारी है। इतना ही डायरेक्ट टैक्स कोड को लेकर भी हलचल है। बदमाश परसा कहता है कि सरकार हमारी सामाजिक सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं करती। 

इसलिए हम अपने बुढ़ापे के लिए प्रॉपर्टी खरीदते हैं या शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं। अब सरकार इस बात की तैयारी कर रही है कि प्रॉपर्टी और शेयर मार्केट से होनेवाली उसकी आमदनी पर भी अधिकतम टैक्स वसूला जा सके। खबर है कि इस बजट में डायरेक्ट टैक्स कोड लागू हो सकता है। कुछ लोग चिंता जता रहे हैं कि अगर ये कोड आया तो हाहाकार मच जाएगा और सीधा-सादा दिखने वाला परसा भी बगावत पर उतारू हो जाएगा। 

मगर मोदीजी बेफिक्र हैं। उन्हें पता है कि परसा का मूड कितना भी खराब हो अगर मुसलमान की पिटाई दिखा दो तो वह खुश हो जाता है। उसकी तो इस देश में कोई कमी नहीं है। टैक्स बढ़ेगा तो परसा थोड़ी देर के लिए रोयेगा और फिर आंसू पोछकर व्हाट्स एप फारवर्ड आगे बढ़ाने में मगन हो जाएगा।

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