मरकडवाडी के बाद अकोला के 2 गांवों में मतदान पेटी से ईवीएम को चुनौती!
सोलापुर के मरकडवाडी में भले ही प्रशासन के दबाव में बैलट पेपर से वोटिंग न हो पाई हो, लेकिन लगता है इसने देश भर को ईवीएम को चुनौती देने की एक राह सुझा दी है! मरकडवाडी के बाद महाराष्ट्र के ही अकोला जिले में अब दो गाँवों ने कुछ इसी तरह से ईवीएम को चुनौती देने की घोषणा की है। 6 दिसंबर को मॉक पोल करना तय किया गया है।
वरिष्ठ समाजसेवी तथा ʻदेशोन्नतीʼ समाचार पत्र समूह के चेयरमैन प्रकाश पोहरे ने कहा है कि राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कथित गड़बड़ियों को लेकर ग्रामीणों में अविश्वास बना हुआ है और इस वजह से ग्रामीणों ने कागज पर वोटिंग करने का फ़ैसला किया है। हालाँकि, यह वोटिंग थोड़ी अलग होगी। ईवीएम की जगह पर मतदान पेटी होगी, लेकिन उम्मीदवारों के नाम वाले बैलट पेपर के रूप में वोट नहीं डाले जाएंगे। वोट पर्ची से डाले जाएँगे।
इसकी पहल करने वाले समाजसेवी प्रकाश पोहरे ने कहा कि अकोला जिले के बालापुर क्षेत्र के तुलजापुर गांव में सुबह 12 से 2 बजे तक मॉक पोल आयोजित किया जाएगा। इसी तरह पातुर तहसील के बेलतला गाँव में दोपहर 2 से 4 बजे के बीच मॉक पोल करने का निर्णय लिया गया है।
पोहरे ने कहा है कि इसके लिए गाँव में मतदान पेटी के रूप में दो बक्से रखे जाएँगे जिनमें से एक पर महायुति लिखा होगा और मोदी-फडणवीस की तस्वीर लगी होगी। दूसरी पेटी पर एमवीए लिखा होगा और राहुल, शरद, उद्धव की तस्वीर होगी। इसके लिए न तो बैलट पेपर इस्तेमाल किया जाएगा और न ही उम्मीदवारों के नाम होंगे। वोट डालने वाले को सिर्फ़ इतना करना होगा कि उसे एक पर्ची पर अपना नाम लिखना या अंगूठा लगाना होगा और आधार नंबर या फिर वोटिंग लिस्ट का नंबर लिखना होगा और महायुति या फिर एमवीए लिखी पेटी में उसको डाल देना होगा। उसी दिन वोटिंग के बाद इसकी गिनती की जाएगी।
MASSIVE BREAKING 🚨
— Amock_ (@Amockx2022) December 4, 2024
After Markadwadi, there are 2 more villages in Akola going for mock poll on Ballot Paper on 6th December
In Solapur, administration stopped villagers from voting but it has made massive impact on ground across Maharashtra 🔥
Voters don't trust EVMs…
शपथ ग्रहण के दिन विरोध करने का निर्णय
इस तरह की पोलिंग की व्यवस्था किसी दल की ओर से नहीं की गई है। वरिष्ठ समाजसेवी तथा ʻदेशोन्नतीʼ समाचार पत्र समूह के चेयरमैन प्रकाश पोहरे ने इसकी पहल की है। 6 दिसंबर को तय वोटिंग से पहले पाँच दिसंबर को ईवीएम के ख़िलाफ़ विदर्भ में दोपहर 1-3 बजे काली पट्टी लगाकर आंदोलन करने की घोषणा की गई है। कहा गया है कि लोग गांधी और आंबेडकर की प्रतिमाओं के सामने जाकर प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि 5 दिसंबर को ही महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होना तय है।
अभी अकोला के इस मामले में प्रशासन की ओर से कुछ बयान नहीं आया है। वैसे, प्रशासन ने सोलापुर के मरकडवाडी गाँव में ईवीएम के ख़िलाफ़ बैलट पेपर से इस तरह की मुहिम को रुकवा दिया।
मरकडवाडी में ग्रामीणों ने मॉक पोल के रूप में बैलट पेपर से वोटिंग को रद्द कर दिया, लेकिन उनपर पुलिस कार्रवाई कर रही है। क़रीब 200 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। ऐसा तब है जब उन्होंने मॉक पोल की तैयारी भर की थी। यानी प्रशासन ने उन्हें पोलिंग करने ही नहीं दी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर मॉक पोलिंग को रद्द करने का दबाव बनाया।
कहा जा रहा है कि भले ही यह वोटिंग नहीं हो पाई हो, लेकिन इसने कई जगहों पर लोगों को मॉक पोल के ज़रिए प्रतिकात्मक विरोध-प्रदर्शन की एक राह दिखाई है।
बता दें कि महाराष्ट्र चुनाव में ईवीएम में लाखों वोट बढ़ जाने, चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम काटे जाने और फिर नये नाम जोड़े जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इससे पहले ख़बर आई थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गिने गए वोटों और डाले गए वोटों के बीच काफी अंतर है। केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, अंतिम मतदान 66.05% था यानी कुल 64,088,195 वोट पड़े। हालाँकि, गिने गए कुल वोटों का जोड़ 64,592,508 है, जो कुल पड़े वोटों से 504,313 अधिक है। हालाँकि आठ विधानसभा क्षेत्रों में गिने गए वोटों की संख्या डाले गए वोटों से कम थी, शेष 280 निर्वाचन क्षेत्रों में, गिने गए वोट डाले गए वोटों से अधिक थे।
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने कहा है कि 'लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पांच महीनों में महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या में 47 लाख की वृद्धि हुई! जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पांच साल में महाराष्ट्र में केवल 37 लाख मतदाताओं की वृद्धि हुई थी।'
इसी बीच शरद पवार ने राज्य के लोगों से आंदोलन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर महाराष्ट्र के लोगों में असंतोष बढ़ रहा है। पवार ने तो सीधे-सीधे कह दिया कि चुनाव में धन और बल के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लोगों को विद्रोह कर देना चाहिए।