महिला पहलवानों के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रदर्शन की सूचनाएं आने लगी हैं। आगरा में जिला मुख्यालय पर एसकेएम के लोगों ने प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) ने कई जगह बृजभूषण शरण सिंह के पुतले फूंके। हरियाणा के किसान संगठनों ने 4 जून को सोनीपत के मुंडलाना में किसान पंचायत इसी मुद्दे पर बुलाई है।
यूपी के टप्पल में भी आज किसान पंचायत इसी मुद्दे पर हो रही है। टप्पल यूपी में अलीगढ़ जिले की किसान बेल्ट है और यहां जयंत चौधरी के आरएलडी का बहुत प्रभाव है। इसी तरह पूर्वांचल के प्रमुख शहर बलिया में भी संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन चल रहा है। वहां जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया है।
ऊपर का यह वीडियो बलिया से है। पूर्वांचल में संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन पहली बार दिखाई दिया है।
सहारनपुर में बीकेयू कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर एडीएम को ज्ञापन सौंपा। देखिए वीडियो-
संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर विभिन्न किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विकास भवन रायबरेली में धरना प्रदर्शन करने के बाद जिलाधिकारी रायबरेली को ज्ञापन दिया।
बिजनौर में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। रामपुर में संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन। वीडियो देखिए-
हरियाणा के रेवाड़ी का यह फोटो देखिए-
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि उसने "भारतीय पहलवानों द्वारा विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार को सुरक्षित करने के लिए" और समाज के अन्य सभी वर्गों और "भाजपा सांसद बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग करने के लिए" देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।"
मोर्चा पूरे भारत में प्रदर्शन करने के लिए ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों और बुद्धिजीवियों सहित अन्य सभी वर्गों से सहयोग मांगा है। उसकी कमेटी इस बारे में सभी संगठनों से समन्वय कर रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा 5 जून को भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख का प्रदर्शन और पुतले जलाएगा, जिस दिन अयोध्या में संतों के एक समूह ने सिंह के समर्थन में एक रैली की योजना बनाई है।
मोर्चा ने 28 मई को पहलवानों पर हुई कार्रवाई की भी कड़ी निंदा की, जिस दिन महिला पहलवानों ने 'महिला सम्मान महापंचायत' का आह्वान किया था।
सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को रविवार को दिल्ली पुलिस ने उस स्थान से हटा दिया, जब उन्होंने उसी दिन उद्घाटन किए गए नए संसद भवन तक मार्च करने की कोशिश की थी। उन्हें हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ दिया गया।
इसके बाद पहलवानों ने घोषणा की कि वे सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग के विरोध में अपने पदक हरिद्वार में नदी में प्रवाहित करेंगे। लेकिन किसान नेताओं द्वारा इस मुद्दे को हल करने के लिए उनसे पांच दिन का समय मांगे जाने के बाद पहलवानों ने धमकी नहीं दी।