महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा और कई राज्यों में उपचुनावों के बीच आरएसएस की वार्षिक अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक 25 और 26 अक्टूबर को मथुरा में होने वाली है। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसके लिए एजेंडा पहले से ही रखा गया है। वैसे, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दशहरा भाषण में भी बैठक का एजेंडा ढूंढा जा सकता है, लेकिन रिपोर्ट है कि चुनाव से पहले दलितों तक पहुँच, ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री का विनियमन, जम्मू-कश्मीर चुनाव जैसे समकालीन मुद्दे, बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए ख़तरा, और संघ का शताब्दी समारोह कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर बैठक में चर्चा की जाएगी।
दलितों तक पहुंच और सामाजिक समरसता पर बैठक का फोकस महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों से पहले है, जहां कांग्रेस ने एक बार फिर जाति जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाया है। खासकर महाराष्ट्र के चुनाव को आगे देश की राजनीति को बदलने वाला माना जा रहा है। ऐसे में जाहिर है कि संघ के लिए बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करना कितना अहम होगा।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि बैठक का एजेंडा इस महीने की शुरुआत में नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विजयदशमी भाषण द्वारा पहले ही तय किया जा चुका है और बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
बता दें कि विजयदशमी भाषण में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को जाति और समुदाय के आधार पर विभाजित करने के लिए डीप स्टेट काम कर रहा है। कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए इसमें मदद कर रहे हैं। भागवत ने हिंदू समाज से जातिगत मतभेदों को दूर करने का आग्रह किया। उन्होंने बांग्लादेश के हिन्दुओं का हवाला देते हुए भारत के हिन्दुओं को अपनी जाति वगैरह भूलकर एकजुट होने की अपील भी की।
भागवत ने भारत की विभिन्नताओं पर हमला करते हुए कहा कि हमारी भिन्नताएँ इतनी हो गई हैं कि हमने अपने संतों और देवताओं को भी विभाजित कर दिया है। वाल्मिकी जयंती केवल वाल्मिकी कॉलोनी में ही क्यों मनाई जानी चाहिए? वाल्मिकी ने संपूर्ण हिंदू समाज के लिए रामायण लिखी। इसलिए सभी को मिलकर वाल्मिकी जयंती और रविदास जयंती मनानी चाहिए। समस्त हिन्दू समाज को सभी त्यौहार मिलजुल कर मनाना चाहिए। हम इस संदेश के साथ समाज के पास जाएंगे।'
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद भागवत ने अपने भाषण में सामाजिक सद्भाव के लिए पहली बार ऐसा विस्तृत तर्क दिया।
बता दें कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा को 240 सीटें मिलीं और अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई, उसे दूसरे दलों का सहारा लेना पड़ा। उसके बाद यह तर्क दिया गया कि भाजपा की संभावनाओं को नुकसान इसलिए हुआ है क्योंकि दलितों और पिछड़ों के एक वर्ग ने भाजपा को वोट नहीं दिया। दलितों को डर था कि अगर भाजपा की 'अबकी बार 400 पार' का नारा सफल हुआ तो वो संविधान बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी।
बहरहाल, संघ की अब जो वार्षिक बैठक होने वाली है उसके एजेंडे को भागवत के इस भाषण से समझा जा सकता है। बैठक में कुल 393 आरएसएस पदाधिकारी शामिल होंगे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने बुधवार को कहा, 'बैठक में यह सुनिश्चित करने के लिए क़दमों पर चर्चा की जाएगी कि समाज भ्रामक सूचनाओं का शिकार हुए बिना एक सुसंगत इकाई के रूप में कैसे एक साथ रह सकता है। फिर उन्होंने बच्चों पर इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म द्वारा प्रदान की जाने वाली सामग्री के प्रतिकूल प्रभाव और उनके विनियमन की आवश्यकता के बारे में बात की थी। उस पर भी चर्चा की जाएगी। चर्चाओं का मुख्य फोकस मूल रूप से इस बात पर होगा कि सामाजिक सद्भाव कैसे बनाया जा सकता है ... हमने क्या किया है और इस दिशा में और क्या करने की ज़रूरत है।'
आंबेकर ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि संघ दयानंद सरस्वती, बिरसा मुंडा, अहिल्याबाई होल्कर और रानी दुर्गावती जैसी महान हस्तियों के संदेशों को समाज तक कैसे पहुंचा सकता है। भागवत ने अपने भाषण में इन सभी हस्तियों के बारे में बात की थी।
इन मुद्दों के अलावा, कार्यकारी मंडल बैठक में आरएसएस के काम के विस्तार के संदर्भ में संघ शताब्दी समारोह पर भी चर्चा होगी। बैठक में अगले साल नागपुर और देश के अन्य हिस्सों में विजयादशमी के विशेष उत्सव मनाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।