+
आरजेडी ने जारी की प्रत्याशियों की सूची, दलितों से दूरी, सवर्णों पर दांव

आरजेडी ने जारी की प्रत्याशियों की सूची, दलितों से दूरी, सवर्णों पर दांव

आरजेडी ने बिहार विधान परिषद के चुनाव में सवर्णों को बड़ी संख्या में टिकट दिया है, क्या इसके पीछे कोई सियासी रणनीति है?

आरजेडी ने बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए अपने प्रत्‍याशियों की घोषणा कर दी है। प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा के साथ ही पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी ने ट्वीट करते हुए लिखा, गजब…गरीबों की पार्टी…गजब… दरअसल, आरजेडी ने संभवतः पहली बार 50 प्रतिशत सवर्णो पर दांव खेला है। सवर्णों मे भी आरजेडी ने अपने धुर-विरोधी भूमिहारों को सबसे ज्यादा महत्व दिया है। 

आरजेडी की ओर से 20 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की गई है। इसमें 10 सवर्ण है। 10 में 5 भूमिहार जाति के प्रत्याशी हैं। चार राजपूत और एक ब्राह्मण को भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। 

इसी प्रकार आरजेडी ने आठ यादव और एक मुसलमान और एक वैश्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने 24 में से एक सीट सीपीआई को दिया है। सीपीआई ने भी अपने प्रत्याशी ने नाम की घोषणा कर दी है। सीपीआई की ओर से भी यादव को ही प्रत्याशी बनाया गया है।

MY की जगह BY समीकरण 

आरजेडी ने इस दफा अपने परंपरागत MY (मुसलमान+यादव) की जगह BY(भूमिहार + यादव) समीकरण को महत्व दिया है। माई समीकरण के सहारे ही आरजेडी ने बिहार में 15 सालों तक राज किया है। लेकिन पिछले 15 सालों से सत्ता से बाहर रहने के बाद आरजेडी ने MY की जगह BY समीकरण को भी साधने में लगी है। पार्टी को यह पता है कि बिहार के सवर्णों में भूमिहार जाति का सबसे ज्यादा दबदबा है। यही कारण है कि उसने पांच सीटों भूमिहारों को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि एक सीट पर मुसलमानों को अपना प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस के वोटर पर आरजेडी की नजर

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आरजेडी ने इस दफा कांग्रेस के कोर वोटरों पर दांव लगाया है। कांग्रेस के परंपरागत वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसने पहली बार 50 प्रतिशत सवर्णों को अपना प्रत्याशी बनाया है।

लिस्ट में भूमिहारों के महत्व का इससे भी अंदाज लगाया जा सकता है कि पटना की जिस सीट पर पार्टी ने अनंत सिंह के खास को अपना प्रत्याशी बनाया है उस सीट पर आरजेडी विधायक रितलाल यादव के भाई प्रबल दावेदार थे। इतना ही नहीं पार्टी ने पूरी सूची रविवार को जारी की, जबकि पटना सीट पर अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा एक दिन पहले आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने की और पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे पटना सीट से खड़े पार्टी के उम्मीदवार को हर हाल में जिताये।

राजनीतिक पंड़ितों का कहना है कि इस फैसले के बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच की दूरी और बढ़ेगी। पार्टी के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर तो यहां तक कह दिया है कि यह प्रयोग सफल रहा तो कांग्रेस के साथ पार्टी हमेशा के लिए अपना गठबंधन तोड़ लेगी।

बीजेपी से सीधे लड़ने की तैयारी

सीनियर पत्रकार लव कुमार मिश्रा का कहना है कि आरजेडी ने एमएलसी चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव की भी तैयारी शुरु कर दी है। उसका मानना है कि बिहार में जदयू और कांग्रेस का बहुत खास जनाधार नहीं है।  बिहार की राजनीति में अगर पहले पायेदान पर रहना है तो बीजेपी से दो-दो हाथ करना होगा। यही कारण है कि आरजेडी  ने सवर्णों पर दांव खेलकर बीजेपी के वोटबैंक में सेंघमारी का प्रयास किया है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें