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'नफरत फैलाने वाले ग्रंथ' के बयान पर मंत्री के बचाव में तेजस्वी!

'नफरत फैलाने वाले ग्रंथ' के बयान पर मंत्री के बचाव में तेजस्वी!

बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के 'नफरत फैलाने वाले ग्रंथ' के बयान पर पहली बार उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बयान दिया है। जानिए उन्होंने सफ़ाई में क्या कहा और बीजेपी पर क्या आरोप लगाया।

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को रामचरितमानस पर राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की हालिया टिप्पणी को लेकर उनका बचाव किया है। उन्होंने इस टिप्पणी के बाद बीजेपी पर 'साजिश' का आरोप लगाया और कहा कि वह इस बयान को हिंदू-मुसलिम करने की कोशिश कर रही है।

जब से चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर यह बयान दिया है तब से इस पर घमासान मचा है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में रामचरितमानस, मनुस्मृति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एमएस गोलवलकर की किताब 'बंच ऑफ थॉट्स' को नफरत फैलाने वाला बताया था। 

चंद्रशेखर के इस बयान के बाद बिहार के विपक्षी दलों ने उनको जमकर कोसा। बीजेपी नेताओं ने विरोध में शनिवार को रामचरितमानस का पाठ किया था। बीजेपी ने मंत्री को हटाने की मांग की। कई जगहों पर एफ़आईआर दर्ज कराई गई। हालाँकि, आरजेडी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने शिक्षा मंत्री के बयान से किनारा कर लिया, लेकिन कई नेताओं ने विरोध में बयान दिया।

बहरहाल, चंद्रशेखर के इस बयान पर पहली बार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का बयान आया है। पीटीआई के अनुसार तेजस्वी ने कहा, 'लोगों को भाजपा की साजिशों के बारे में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वह राजनीतिक बयान को चालाकी से हिंदू बनाम मुस्लिम करने की कोशिश कर रही है।'

उन्होंने कहा, 'हमें भाजपा की साजिशों को समझना चाहिए। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को अफवाहों से बदनाम करने की कोशिश की थी कि वह अपनी पार्टी को तोड़ने की कोशिश करते हुए राज्यपाल या उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे। वे फिर से काम पर लग गए हैं क्योंकि 'महागठबंधन' उनकी आंख की किरकिरी है और 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी संभावनाओं को धूमिल कर सकता है।'

बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर ने यह कहकर विवाद छेड़ दिया था कि 'रामचरितमानस' 'सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देती है और समाज में नफरत फैलाती है'।

उन्होंने रामायण के लोकप्रिय संस्करण की तुलना आरएसएस के विचारक एम एस गोलवलकर द्वारा लिखित 'बंच ऑफ थॉट्स' से भी की।

उन्होंने कहा था, 'रामचरितमानस का विरोध किया गया क्योंकि इसमें कहा गया था कि शिक्षित होने पर समाज का निचला वर्ग जहरीला हो जाता है। रामचरितमानस, मनुस्मृति और एमएस गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबें सामाजिक विभाजन पैदा करती हैं।'

समझा जाता है कि चंद्रशेखर से इस बयान से बीजेपी बिहार में फिर से फ्रंटफुट पर आ गई है। इससे पहले वह जाति जनगणना के मुद्दे पर घिरी हुई थी। 

बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुई जातीय जनगणना के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी जहां आपस में बिखरी हुई और बैकफुट पर नजर आ रही थी, वहीं चंद्रशेखर के उस बयान के बाद वह काफी आक्रामक नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि बिहार में नीतीश कुमार से अलग होने के बाद मुद्दाविहीन चल रही भारतीय जनता पार्टी को अपने एजेंडा के मुताबिक वह मुद्दा मिल गया है जिसे वह भुनाने के प्रयास में लग गई है।

नीतीश कुमार ने भले ही इस मामले में बयान देने से खुद को रोके रखा है लेकिन उनके दो प्रमुख नेता जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जदयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस सुर में बात कर रहे हैं जो आरजेडी और जदयू के बीच दरार बढ़ाने वाला ही माना जा सकता है। ललन सिंह तो सिर्फ यह कह रहे हैं कि राजद नेतृत्व को शिक्षा मंत्री पर फैसला लेना चाहिए लेकिन उपेंद्र कुशवाहा इसे काफी तूल देते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह राजद के मंत्री और नेता बोल रहे हैं उससे साफ लगता है कि वह भाजपा की मदद कर रहे हैं। उन्होंने राजद पर भाजपा से मिलीभगत का भी आरोप लगाया। हाल में उपेंद्र कुशवाहा पर भी बीजेपी से मिले होने का आरोप लगा है। बहरहाल, चंद्रशेखर के बयान के बाद से बिहार की राजनीति में गहमागहमी है।

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