आर्थिक मोर्चे पर अब मोदी सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी तगड़ा झटका लगा है। ख़ुदरा में ख़रीदे जाने वाले सामान महंगे हो गए हैं। औद्योगिक उत्पादन में भी 3.8 फ़ीसदी की ज़बरदस्त गिरावट आई है।
नवंबर महीने में ख़ुदरा महंगाई दर अक्टूबर के 4.62 फ़ीसदी से बढ़कर 5.54 फ़ीसदी हो गई है। यह 2016 के बाद यानी तीन साल में सबसे ज़्यादा है। इनमें खाने की चीजों में प्याज की कीमतें सबसे ज़्यादा बढ़ी हैं। सितंबर महीने में इसमें जहाँ 45.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं अक्टूबर महीने में इसमें 19.6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई।
बता दें कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया यानी आरबीआई ने खुदरा महंगाई की दर 4 फ़ीसदी तक नियंत्रित रखने का लक्ष्य तय कर रखा है। लेकिन यह दर अक्टूबर महीने में इस तय सीमा को पार कर गई थी। नवंबर महीने में तो यह लक्ष्य से काफ़ी ज़्यादा हो गई है। यह रिज़र्व बैंक के लिए चिंता का विषय तो है ही सरकार के लिए भी चिंता का विषय है।
औद्योगिक उत्पादन गिरा
औद्योगिक उत्पादन में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है। अक्टूबर महीने में यह 3.8 फ़ीसदी रहा। विनिर्माण, खनन और बिजली तीनों क्षेत्रों में यह गिरावट आई है। इसका मतलब साफ़ है कि इसकी माँग में गिरावट आई है। पिछले साल अक्टूबर महीने में यह 8.4 फ़ीसदी थी।यह इस लिहाज़ से भी अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है कि लगातार गिरावट के बावजूद इसमें सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है। देश की पहले से ही आर्थिक स्थिति ख़राब है और ऐसे में औद्योगिक उत्पादन का गिरना सरकार के लिए चिंता की बड़ी वजह होगा।
चिंता का कारण इसलिए भी है कि अर्थव्यवस्था के किसी भी मोर्चे पर सकारात्मक संकेत नहीं दिख रहे हैं।