महाराष्ट्र के नागपुर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रहा है। सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों के बीच हुई बातचीत को भी रिकॉर्ड किया है। जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि आतंकी आरएसएस मुख्यालय की रेकी करने के बाद किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले हैं।
खुफिया एजेंसियों को जब आरएसएस मुख्यालय की रेकी के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इस जानकारी को नागपुर पुलिस के साथ साझा किया। नागपुर पुलिस ने इसके बाद इस मामले की जांच शुरू कर दी है। नागपुर पुलिस के कमिश्नर अमितेश कुमार का कहना है कि खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटी ऑफ प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
दरअसल यूएपीए गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला यह एक्ट काफी खतरनाक होता है। इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है। इस कानून का दायरा इतना व्यापक होता है कि न केवल अपराधी बल्कि वैचारिक विरोध और आंदोलन या आतंकी गतिविधियों की स्थिति में भी यह एक्ट लगाया जाता है। इससे पहले भी महाराष्ट्र में हुई दूसरी आतंकी घटनाओं पर यह एक्ट लगाया जा चुका है।
खुफिया सूत्रों का कहना है कि एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि पिछले साल जुलाई महीने में कश्मीर में रहने वाले एक युवक ने आरएसएस के मुख्यालय की रेकी की थी। जब इस युवक को कश्मीर में एजेंसियों ने गिरफ्तार किया गया तो उसने खुलासा किया कि उसने जुलाई महीने में अपने एक साथी के साथ मिलकर नागपुर जाकर आरएसएस के मुख्यालय की दो दिनों तक रेकी की थी। इस युवक ने साथ ही यह भी खुलासा किया है कि उसने नागपुर की दूसरी जगहों जैसे रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट के भी कुछ फोटोग्राफ निकाले थे। खुफ़िया सूत्रों का कहना है कि एजेंसियों द्वारा पकड़े गए इस युवक ने वो फोटो आतंकी संगठन जैश-ए- मोहम्मद को पाकिस्तान भेजे थे।
नागपुर पुलिस द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने के बाद अब आरएसएस के दफ़्तर की सुरक्षा और बढ़ा दी गयी है। आरएसएस के दफ्तर में आने जाने वाले हर शख़्स पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है। यह पहला मौका नहीं है जब आरएसएस का मुख्यालय आतंकियों के निशाने पर रखा हो। इससे पहले भी आतंकी कई बार आरएसएस के मुख्यालय को उड़ाने की धमकियां दे चुके हैं।