सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हैं। दरअसल, सर्विस टैक्स की लेवी और एकीकृत जीएसटी से संबंधित कई मामलों में 2017 से कुछ केस कई अदालतों में चल रहे हैं। इसमें दोनों करों की संवैधानिक वैधता की न्यायिक समीक्षा शामिल है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन केवल मार्गदर्शन की तरह हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ ओशियन फ्राइट पर गुजरात सरकार के राजस्व अधिकारियों द्वारा लगाई गई एकीकृत जीएसटी की लेवी को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए. रस्तोगी ने कहा, यह निर्णय जीएसटी के तहत उन प्रावधानों के परिदृश्य को बदल सकता है जो न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं। रस्तोगी ने कहा कि चूंकि अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें मार्गदर्शन की तरह हैं। ऐसे प्रावधानों के लिए व्यावहारिक नजरिया यह होगा जो जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर ऐसे प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती के रूप में न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।
सर्विस टैक्स लेवी और एकीकृत जीएसटी लगाने से संबंधित मामले पर 2017 से कई अदालतों में बहस चल रही है और इसमें दोनों करों की संवैधानिक वैधता की न्यायिक समीक्षा शामिल है। जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गई थी।गुजरात हाईकोर्ट ने रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत समुद्री माल पर जीएसटी लेवी को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ राजस्व अधिकारियों ने शीर्ष अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
रस्तोगी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि माल के आयात के मामले में भुगतान किए गए समुद्री माल पर जीएसटी असंवैधानिक है। एक परिणाम के रूप में, ऐसे कर का भुगतान करने वाले भारतीय आयातक धनवापसी के पात्र होंगे। इसके अलावा, जिन आयातकों ने सेवाओं के आयात पर कर का भुगतान नहीं किया था, उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के कारण टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान ने बताया कि आम तौर पर आयातित सामानों के मूल्य में लागत, बीमा और माल ढुलाई के घटक शामिल होते हैं और उस मूल्य पर सीमा शुल्क और जीएसटी लगाया जाता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने आयातित माल के मूल्य के 10% को समुद्री माल के रूप में मानते हुए आयातित माल के मूल्य पर 5% जीएसटी लगाने की मांग की। इसका मतलब था सेवाओं के रूप में आयातित वस्तुओं के मूल्य पर 0.5% जीएसटी, साथ ही सीमा शुल्क और जीएसटी जो लगभग 28% है और माल के रूप में चार्ज किया जाता है। आयातकों ने इस कदम को चुनौती दी थी क्योंकि इसमें सीबीआईसी द्वारा आयातित सामानों के समान मूल्य पर दोहरा कराधान शामिल था।