मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों की आग धधक ही रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रश्मि शुक्ला की एक रिपोर्ट को लेकर सामने आ गए। इस रिपोर्ट ने आग में घी डाल दिया है और मामले में बीजेपी और शिव सेना के बीच जारी जुबानी जंग में एनसीपी भी कूदी है और उसने आईपीएस अफ़सर रश्मि शुक्ला को बीजेपी की एजेंट बताया है।
नवाब मलिक ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट में किसी तरह का तथ्य नहीं है और ठाकरे सरकार को बदनाम करने के लिए यह खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि फडणवीस लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
ठाकरे सरकार में मंत्री और एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता मलिक ने कहा कि रश्मि शुक्ला बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रही थीं। उन्होंने कहा कि रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट में जिन ट्रांसफ़र का जिक्र है, उनमें से 80 फ़ीसदी ट्रांसफ़र तो हुए ही नहीं हैं।
मलिक ने कहा है कि यह पूरी तरह षड्यंत्रकारी रिपोर्ट है और रश्मि शुक्ला ने बिना अनुमति लिए फ़ोन टैप किए और उसी आधार पर यह रिपोर्ट उन्होंने तैयार की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जब महा विकास आघाडी की सरकार बन रही थी तब भी रश्मि शुक्ला ग़ैर क़ानूनी ढंग से सारे नेताओं के फ़ोन टैप कर रही थीं और इस बात की जानकारी ठाकरे सरकार के पास है।
‘सामना’ में शिव सेना ने बोला हमला
शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि सुबोध जायसवाल, रश्मि शुक्ला आदि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सरकार को अंधेरे में रखकर की गई ‘फोन टैपिंग’ प्रकरण की रिपोर्ट लेकर भी विपक्ष के नेता दिल्ली पहुंच गए हैं। अर्थात राज्य की प्रशासनिक सेवा से जुड़े ये लोग एक राजनीतिक पार्टी की सेवा कर रहे थे।
‘सामना’ में यह भी लिखा है कि, “विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार को खोखला बनाने के लिए इन अधिकारियों से साठ-गांठ की और आस्तीन के इन अंगारों को राज्य सरकार ने अपने दामन में रखा था। जिस सरकार का अथवा राज्य का नमक खाते हैं, उसी राज्य की बदनामी करने की ये साजिश है और इसके पीछे राज्य के लापरवाह विपक्ष का हाथ है।”
महाराष्ट्र के सियासी हालात पर देखिए चर्चा-
महाराष्ट्र के घटनाक्रम को लेकर राज्य बीजेपी के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिला और उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार पर हमले किए। लेकिन सरकार की तरफ से शिव सेना सांसद संजय राउत मैदान में उतरे और बीजेपी को जवाब दिया।
राज्यपाल से मिलने के बाद फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में पैसे उगाहने से लेकर ट्रांसफ़र-पोस्टिंग की घटनाओं को लेकर आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री मौन हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्धव ठाकरे इस मामले में जांच का आदेश देना ही नहीं चाहते।
फडणवीस को जवाब देने के लिए संजय राउत सामने आए और कहा कि पुलिस महाराष्ट्र का स्वाभिमान है और एक-दो अफसरों की ग़लती से पूरे पुलिस फ़ोर्स को दोषी नहीं ठहरा सकते। राउत ने कहा कि फडणवीस का यह लेटर बम फुस्स हो गया है।
फडणवीस के आरोप
फडणवीस ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर-पोस्टिंग के गोरखधंधे के चलने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने इस गोरखधंधे को ट्रैप किया था और ठाकरे सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। फडणवीस ने कहा था कि ठाकरे सरकार ने आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें उनकी मनमाफिक पोस्टिंग और ट्रांसफर दे दिया।
फडणवीस ने मंगलवार शाम को दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव से मुलाक़ात की थी और उन्हें यह रिपोर्ट सौंपी थी। उन्होंने देशमुख पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की थी।
अनिल देशमुख पर लगे आरोपों, मनसुख हिरेन मौत मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व अफ़सर सचिन वाजे की भूमिका और अब रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट ने महाराष्ट्र में जबरदस्त सियासी बवाल करा दिया है। ऐसा लगता है कि यह सियासी बवाल जल्दी नहीं थमेगा।