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राज्यसभा चुनाव: मतदान से पहले जयपुर में क्यों बंद करना पड़ा इंटरनेट?

राज्यसभा चुनाव: मतदान से पहले जयपुर में क्यों बंद करना पड़ा इंटरनेट?

राज्यसभा के चुनाव में इस बार रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी जमकर हावी रही लेकिन विधायकों को हार्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए इंटरनेट बंद करने का मामला बेहद गंभीर है। 

इस बार राज्यसभा के चुनाव को देखकर इन चुनावों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को बड़ी हैरानी हो रही है। हैरानी की वजह यह है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने विधायकों को चुनाव से कई दिन पहले ही रिजॉर्ट में शिफ्ट करना पड़ा। लेकिन इससे ज्यादा हैरान करने वाली एक और खबर सामने आई है राजस्थान के जयपुर से। 

खबर यह है कि शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव से पहले जयपुर में इंटरनेट अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा। जयपुर जिले के आमेर इलाके में गुरुवार रात 9 बजे से शुक्रवार सुबह 9 बजे तक इंटरनेट बंद रहा। 

आमेर इलाके में स्थित होटल लीला में उदयपुर के रिजॉर्ट से लौटे कांग्रेस के विधायकों को ठहराया गया था।

हालांकि इस इलाके में वॉइस कॉल और ब्रॉडबैंड सेवाओं को बंद नहीं रखा गया था। इंटरनेट को अस्थायी रूप से बंद किए जाने के बारे में बाकायदा सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी।

इससे पता चलता है कि कांग्रेस को उसके विधायकों में बीजेपी के द्वारा सेंध लगाए जाने का डर कितने बड़े पैमाने पर था। राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव है और यहां कांग्रेस की ओर से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं जबकि बीजेपी की ओर से घनश्याम तिवारी और बीजेपी समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव मैदान में हैं।

41 वोटों की जरूरत 

200 सीटों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 71 विधायक हैं। राज्यसभा के 1 उम्मीदवार को जिताने के लिए 41 वोटों की जरूरत है।

विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस राजस्थान में राज्यसभा की 2 सीटें आसानी से जीत सकती है जबकि तीसरी सीट जीतने के लिए उसे 15 और विधायकों की जरूरत होगी। दूसरी ओर बीजेपी एक उम्मीदवार को जिता सकती है और दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए उसे 11 वोटों की जरूरत होगी।

राजस्थान में 13 निर्दलीय विधायक हैं और 8 विधायक छोटी पार्टियों के हैं। 

कांग्रेस को इस बात का डर था कि अगर सुभाष चंद्रा ने कुछ कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों में सेंध लगा दी तो कांग्रेस का खेल खराब हो सकता है।

रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का कल्चर

राज्यसभा के चुनाव में इस बार रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी जमकर हावी रही और कांग्रेस से लेकर बीजेपी और शिवसेना से लेकर जेडीएस और एनसीपी ने अपने विधायकों को महंगे रिजॉर्ट में ठहराया। यहां विधायकों की सुख-सुविधाओं से जुड़े तमाम इंतजाम किए गए। 

इसका मतलब कांग्रेस ही नहीं बल्कि चार चुनावी राज्यों के सभी राजनीतिक दलों को इस बात का डर था कि उनके विधायकों में सेंध लग सकती है। लेकिन इंटरनेट को बंद कर दिए जाने का मामला राज्यसभा चुनाव में पहली बार देखने को मिला है।

यह दिखाता है कि राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग यानी कि विधायकों की खरीद-फरोख्त कितने बड़े पैमाने पर होने लगी है और यह निश्चित रूप से लोकतंत्र को कमजोर ही करता है।

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