चीन के साथ सीमा पर चल रहे टकराव के बीच शनिवार रात को भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मुलाक़ात हुई। इस साल मई के महीने से लद्दाख में जारी तनातनी के बाद यह पहला मौक़ा था, जब दोनों देशों के रक्षा मंत्री आमने-सामने थे।
चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने भारत सरकार से एससीओ से इतर इस बैठक को किए जाने का अनुरोध किया था। भारतीय समय के अनुसार रात 9.30 बजे शुरू हुई यह बैठक ढाई घंटे तक चली।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने मॉस्को पहुंचे राजनाथ सिंह ने इससे पहले एससीओ देशों की बैठक में साफ कहा कि इस खित्ते में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि विश्वास का माहौल बनाया जाए, मतभेदों का शांतिपूर्वक समाधान निकाला जाए और अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान किया जाए। इस बैठक में चीनी विदेश मंत्री भी मौजूद थे।एससीओ में 8 देश हैं और भारत और चीन दोनों ही इसके सदस्य हैं।
राजनाथ सिंह के बयान के अलावा विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने भी कहा कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस बात को पूरी मजबूती के साथ कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार भी तब तक सामान्य नहीं रह सकता जब तक कि सीमाई इलाक़ों में पूरी तरह शांति का माहौल न बन जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सभी मसलों का हल बातचीत के जरिए करने के लिए तैयार है।
गलवान में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चल रहा है। लेकिन 29-30 अगस्त को पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाक़े में चीन के सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश के बाद अब हालात ख़राब होते दिख रहे हैं।
तनाव के बीच भारत ने भी किसी भी आपात हालात से निपटने के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पूर्वी लद्दाख में चुशूल सेक्टर के सामने वाले इलाक़े में चीन के द्वारा अतिरिक्त फ़ोर्स तैनात करने के बाद भारत के आर्मी चीफ़ मेज़र जनरल एमएम नरवणे और एयर फ़ोर्स चीफ़ आरकेएस भदौरिया ने फ़ॉरवर्ड इलाक़ों का दौरा किया है।
किसी भी तरह के युद्ध को टालने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य से लेकर राजनयिक स्तर तक की वार्ता हो चुकी है। लेकिन इसके कोई बेहतर नतीजे अब तक नहीं निकले हैं।