सीनियर भाजपा नेता और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अमीन पठान बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में पत्रकारों से बातचीत में अमीन पठान ने कहा- मैं 25 वर्षों तक भाजपा में था क्योंकि मैं देश को एकजुट करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी, भैरों सिंह शेखावत और अन्य नेताओं की नीतियों से प्रेरित था।
अमीन पठान ने खुल कर कहा- आज की भाजपा में केवल गुजरात के लोगों और उद्योगपतियों को ही बढ़ावा दिया जा रहा है।''
उन्होंने कहा, "उन्होंने (भाजपा ने) 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया, लेकिन हकीकत यह है कि चुनाव में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया गया। समाज के एक वर्ग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसी बातों से आहत होकर मैंने यह फैसला किया। भाजपा छोड़ो और कांग्रेस में शामिल हो जाओ।”
अमीन पठान का संबंध पूर्व सीएम वसुंधरा राजे कैंप से है। इसे असली विद्रोह बताया जा रहा है। क्योंकि दस दिनों पहले किसी भाजपा नेता का इस्तीफा टिकट की लालत में नहीं आता है। अब तो चुनाव प्रचार अभियान चरम पर है। ऐसे में भाजपा को यह झटका जनता में सीधे संदेश देने के लिए दिया गया है। वसुंधरा राजे ने इस चुनाव में अपनी अलग ही रणनीति पर काम किया है। वो चुनाव प्रचार में सिर्फ वहीं गईं, जहां उनके समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाना चाहा लेकिन वसुंधरा ने कन्नी काट ली।
इस बीच भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को पार्टी से निकाल दिया है। मेघवाल को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो मेघवाल ने शाहपुरा सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। कैलाश मेघवाल को वसुंधरा समर्थक माना जाता है।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद कैलाश मेघवाल को इस साल की शुरुआत में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था। अगस्त में एक सार्वजनिक रैली में, विद्रोही नेता ने मंत्री को "भ्रष्ट नंबर एक" कहा। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राजनीति में प्रवेश करने से पहले जब वह चूरू जिले में एक सिविल सेवक थे, तो मंत्री ने "करोड़ों रुपये" की रिश्वत ली थी। हालांकि अर्जुन राम मेघवाल को पीएम मोदी का नजदीकी माना जाता है, इसके बावजूद कैलाश मेघवाल ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए।
भाजपा ने गुरुवार को एक और वसुंधरा समर्थक प्रमुख ओबीसी नेता जितेंद्र मीणा को भी निष्कासित कर दिया। मीणा ने टिकट नहीं मिलने पर विद्रोह किया और बस्सी निर्वाचन क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। उसी पर भाजपा ने अब कार्रवाई की है।