राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहे शह-मात के खेल में एक दिलचस्प मोड़ा आया है। हालांकि इनमें से किसी ने यह चाल नहीं चली है, पर साफ़ तौर पर इसका फ़ायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, जयपुर की एक अदालत ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को आदेश दिया है कि वह संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घपले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भूमिका की जाँच करे।
संजीवनी घोटाला
एसओजी 884 करोड़ रुपए के इस कथित घोटाले की जाँच बीते एक साल से कर रहा है। याचिकाकर्ता ने शिकायत की है कि इस सहकारी संस्था से शेखावत, उनकी पत्नी और दूसरे लोगों की कंपनियों को पैसे दिए गए हैं।
इस सहकारी संस्था की स्थापना 2008 में की गई थी। यह जमा पैसे पर ऊंची दर पर ब्याज देता था। पर अब आरोप लग रहा है कि लोगों ने नकली क़र्ज़ों के माध्यम से इस संस्था से करोड़ों रुपए निकाल लिए।
जयपुर की अदालत का यह आदेश ऐसे समय आया है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कहा कि शेखावत और बीजेपी के दूसरे नेता राजस्थान सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। वे इसके लिए विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त में लगे हुए हैं।
एसओजी जाँच
विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त के आरोप की जाँच भी यही एसओजी कर रहा है।
एसओजी ने धारा 160 के तहत शेखावत को नोटिस दिया है। वह उस टेप की जाँच कर रहा है जिसमें कथित रूप से दो लोगों के बीच बातचीत हो रही है कि किस तरह राजस्थान सरकार को गिरा दिया जाए।
शेखावत इसके पहले इस आरोप से इनकार कर चुके हैं। दूसरी ओर, एफ़आईआर में गजेंद्र सिंह का नाम नहीं लिया गया है।
इस केंद्रीय मंत्री ने टेप की सचाई पर सवाल उठाते हुए माँग की है कि पहले टेप की सचाई की जाँच होनी चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया है कि इस कथित बातचीत को किसने रिकार्ड किया और यह टेप कैसे एसओजी को मिला, इसकी जाँच होनी चाहिए।