राजस्थान के भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची शनिवार को जारी हो गई।
भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को झालरपाटन से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया को अंबर से मैदान में उतारा है। तारानगर से राजेंद्र राठौड़ और नागौर से ज्योति मिर्धा चुनाव लड़ेंगी।
भाजपा के राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में हुई थी। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। इस बैठक में चुनावी राज्यों पर चर्चा हुई लेकिन असली रस्साकशी राजस्थान और मध्य प्रदेश को लेकर चल रही है। कमोबेश यही हालत कांग्रेस की भी है। चुनाव की तारीख आने से पहले पीएम मोदी राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में जोरशोर से रैलियां कर रहे थे। राजनीतिक बयान दे रहे थे लेकिन पिछले करीब 8-9 दिनों से मोदी ने राजनीतिक बयानों के मामले में चुप्पी साध रखी है। राजस्थान में भाजपा की दूसरी लिस्ट बता रही है कि तमाम सीटों पर अभी भी उठा पटक चल रही है।
भाजपा अब वसुंधरा के समर्थकों को एडजस्ट कर रही है। अपनी दूसरी सूची में, भाजपा ने चित्तौड़गढ़ से विद्याधर नगर सीट से नरपत सिंह राजवी को भी मैदान में उतारा, क्योंकि इससे पहले उन्होंने पांच बार विधायक नहीं रहने का फैसला किया था। राजवी पार्टी के कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत के दामाद हैं और पहली सूची में उनका नाम गायब होने से पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग में नाराजगी थी।
राजस्थान में वसुंधरा लगातार भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई हैं। पार्टी ने हालांकि उन्हें टिकट दे दिया है लेकिन वसुंधरा ने पार्टी के राजनीतिक अभियानों से अभी भी दूरी बना रखी है, इसी वजह से भाजपा का कोई भी अभियान सिरे से नहीं चढ़ पा रहा है। राजस्थान में मतदाताओं को यह संदेश सीधे चला गया है कि वसुंधरा और भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच संबंध सामान्य नहीं हैं। वसुंधरा गुट ने भाजपा आलाकमान से मांग की थी कि वसुंधरा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करके चुनाव लड़ा जाए तो पार्टी जीत सकती है, अन्यथा उसके जीतने की उम्मीद कम हैं। लेकिन भाजपा ने इस मांग की परवाह किए बिना अपना अभियान जारी रखा हुआ है।
पहली सूची से ही राजस्थान भाजपा में असंतोष दिखाई दे रहा है। पहली सूची के बाद बयानबाजी भी शुरू हो गई थी। असंतोष उन्हीं जगहों पर है जहाँ के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की गई है। पहली सूची में 41 उम्मीदवारों के नाम थे, जिनमें सात सांसद भी शामिल हैं। सांसद नरेंद्र कुमार को मंडावा से, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा से, दीया कुमारी को विद्याधर नगर से, बाबा बालकनाथ को तिजारा से, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर से, भागीरथ चौधरी को किशनगढ़ से और देवजी पटेल को सांचोर विधानसभा सीट से उतारा गया था।
ऐसे असंतोष से निपटने और इस मुद्दे के समाधान के लिए बीजेबी ने राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में एक आंतरिक समिति का गठन किया था। पार्टी के राज्य प्रभारी अरुण सिंह ने नाराज़ नेताओं को मनाने के लिए गुरुवार को कुछ नेताओं से मुलाकात की थी। जिन नेताओं में असंतोष है उन्हें दिलासा दी गई। लेकिन नेता संतुष्ट नहीं हुए। सवाल यही है कि क्या नाराज़ नेता इस कवायद से शांत होंगे?
विद्याधर नगर (जयपुर) विधायक और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के रिश्तेदार नरपत सिंह राजवी नाराज़ हैं। पार्टी द्वारा राजसमंद सांसद दीया कुमारी को उनके निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद राजवी आलोचना करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने आमेर के पूर्व शाही परिवार के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां कीं, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया। राजवी ने कहा है कि वह 23 अक्टूबर को शेखावत के जन्म शताब्दी समारोह की तैयारियों में व्यस्त हैं, जिसके बाद वह अपनी अगली रणनीति तय करेंगे। उन्हें आश्वासन दिया गया है कि या तो उन्हें या उनके बेटे को राजपूत बहुल निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिलेगा।
सांचोर से उम्मीदवार बनाए गए जालोर-सिरोही के सांसद देवजी पटेल को बुधवार को निर्वाचन क्षेत्र में अपने पहले अभियान के दौरान स्थानीय भाजपा नेताओं के समर्थकों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोका और उनके काफिले पर पथराव किया, जिससे कुछ खिड़कियां टूट गईं।
भाजपा नेता मुकेश गोयल कोटपूतली से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में रो पड़े। बाबा बालकनाथ को टिकट मिलने पर पूर्व विधायक मामन सिंह ने भी कुछ वैसी ही प्रतिक्रिया दी। भरतपुर जिले की नगर सीट से दो बार विधायक रहीं अनिता सिंह ने कहा कि उन्हें नजरअंदाज कर मैदान में उतारे गए पार्टी प्रत्याशी जवाहर सिंह बेदम की जमानत जब्त हो जाएगी। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार टिकट न दिए जाने का विरोध करने वाले अन्य लोगों में बानसूर में पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा, किशनगढ़ में विकास चौधरी और देवली-उनियारा में राजेंद्र गुर्जर शामिल हैं।