कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भारतीय जनता पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस साल होन वाले आम चुनाव में उनकी पार्टी जीतेगी और सत्ता में आने के बाद रफ़ाल सौदे की जाँच कराएगी। उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि मामले की आपराधिक जाँच होगी और दोषी लोगों को सज़ा दिलाई जाएगी।
निशाने पर मोदी
इसके पहले लोकभा में बोलते हुए गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर ज़बरदस्त हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी ने संसद में उनके उठाए किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। दरअसल, वे जवाब दे ही नहीं सकते, क्योंकि उन्होंने घपले किए हैं। राहुल गाँधी ने पड़ोसियों से ख़तरे के मुद्दे पर सवाल उठाया और सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कहना है कि पड़ोसी देश की तैयारियों और उनके ख़तरे के मद्देनज़र फ्रांस में तैयार विमान लेने का निर्णय किया गया। राहुल का सवाल था कि पड़ोसी देश से ख़तरा था तो सरकार ने विमानों की तादाद 126 से घटा कर 36 क्यों कर दी। यह सवाल अहम इसलिए है कि बीजेपी कई बार यह आरोप लगा चुकी है कि देश की सुरक्षा तैयारियों की अनदेखी राहुल कर रहे हैं। कांग्रेस इस मुद्दे पर रक्षात्मक रवैया अपनाया करती थी। लेकिन शुक्रवार को राहुल ने इस पर भी आक्रामक रवैया अपना कर सरकार को पीछे धकेल दिया।
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क्या ओलांद झूठे हैं?
राहुल ने कहा कि उनका आरोप साफ़ है कि प्रधानमंत्री ने ऑफ़सेट ठेके रिलायंस को दिलाने की शर्त रखी थी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने उनसे यह कहा था। यदि यह जानकारी ग़लत है तो मोदी फ़ोन उठा कर ओलांद से कहें कि उनके बारे में वे ग़लत जानकारी न फैलाएं। यदि वे ग़लत हैं तो वे साबित करें और देश को बताएं। राहुल ने आक्रामक रुख से कहा कि मोदी ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि सच यह है कि उन्होंने रिलायंस को यह ठेका दिलवाया था।
'सरकारी कंपनी क्यों नहीं?'
राहुल गाँधी ने दसॉ को ठेका देने के बारे में कहा कि आज तक प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया है कि रफ़ाल विमान बनाने का ऑफ़सेट ठेका सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एअरोनॉटिक्स से लेकर रिलायंस को क्यों दिलवाया। उन्होंने पूछा कि क्या एचएएल इस लायक नही है कि उसे यह काम दिया जा सकता था। उनका सवाल था कि इस मुद्दे पर पहले भी मोदी ने कोई जवाब नही दिया था और अब भी नही दे रहे हैं। अब जबकि यह बात साफ़ हो चुकी है कि रिलायंस को ेठेका देने की शर्त समझौते में शामिल थी और सरकार का यह दावा ग़लत है कि इसका फ़ैसला दसॉ को करना था, सरकार को नहीं, तो प्रधानमंत्री यह बताएं कि यही काम सरकारी कंपनी को क्यों नहीं मिला।
सीतारमण को क्लीन चिट
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को रफ़ाल सौदे में दोषी नहीं मानते। उनके पास यह कहने को सबूत कम से कम अभी नहीं है कि मंत्री ने घपला किया, पर वे यह साफ़ कहना चाहते हैं कि इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री की भूमिका है। सारे फ़ैसले उन्होंने लिए और जो घपला हुआ, मोदी ने किया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी से पूछे सवालों का जवाब रक्षा मंत्री उन्हें ही देने दें। वे ख़ुद इसमे न पड़ें।