कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 9 अगस्त को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मणिपुर पर बोलना था लेकिन मणिपुर के बहाने उन्होंने वो सारे सवाल प्रधानमंत्री मोदी से कर दिए हैं, जिसका जवाब पीएम मोदी या तो देंगे या फिर नहीं देंगे। अगर पीएम मोदी ने राहुल के आरोपों का जवाब नहीं दिया तो यह इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
राहुल गांधी का बुधवार का भाषण बहुत ही रणनीतिक था। उन्होंने उन बातों का भी जिक्र किया, जिसे लेकर जनता में चर्चा थी या फिर मीडिया में कयासबाजी जारी थी। राहुल के भाषण पर आइए नजर डालते हैं कि उन्होंने किस बात को किस वजह से कहा।
अडानी का जिक्र क्यों
कांग्रेस बराबर कहती रही है कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता अडानी समूह के कथित करप्शन पर सवाल उठाने के लिए गई थी। अब जब राहुल की सदस्यता बहाल हो गई तो आम लोगों और खासकर मीडियाकर्मियों के दिमाग में एक ही सवाल था कि राहुल अब अडानी का जिक्र करेंगे या नहीं। लेकिन राहुल ने किसी को निराश नहीं किया। राहुल ने आज अडानी का जिक्र चार-पांच बार किया और अंत में अपनी बात यह कहकर खत्म की कि पीएम मोदी सिर्फ दो की ही सुनते हैं-अमित शाह और अडानी।अडानी का जिक्र राहुल शुरू में ही ले आए। उन्होंने कहा - मैं आज अडानी पर नहीं बोलूंगा। बीजेपी के मित्रों को घबराने की जरूरत नहीं। आज के भाषण की दिशा कुछ और है। लेकिन अडानी का इस तरह जिक्र करते हुए राहुल ने बहुत बड़ा संकेत दे दिया।
इतना ही नहीं पीएम मोदी का नाम लेते हुए राहुल ने रावण का भी जिक्र किया। देखना है कि पीएम मोदी अपने भाषणा में मोदी बनाम रावण का जवाब किस तरह देते हैं। बहरहाल, अडानी का नाम लेकर राहुल ने सत्ता पक्ष के लिए उन मरहमों को ताजा कर दिया, जो उन्होंने संसद के पिछले सत्र में लगाए थे। सत्तारूढ़ सरकार को हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी की कथित शेल कंपनियों में लगे बीस हजार करोड़ के आरोप जरूर याद आ रहे होंगे।
भाजपा के राष्ट्रवाद पर तीखी चोट
मणिपुर के संदर्भ में राहुल ने भारत माता का जिक्र करते हुए भाजपा के कथित राष्ट्रवाद पर जोरदार चोट की। जिसका सत्ता पक्ष से विरोध भी हुआ। राहुल ने कहा कि आप लोगों (पीएम मोदी से लेकर भाजपा तक) ने मणिपुर में हिन्दुस्तान की हत्या की है। आप लोग भारत माता के हत्यारे हैं। आप भारत माता के रखवाले नहीं हैं। भारत माता का जिक्र भाजपा-आरएसएस के मर्म पर चोट है। दरअसल संघ और भाजपा खुद को भारत माता का रखवाला बताते रहते हैं। हालांकि अब भारत माता की जय से ज्यादा जयश्री राम का नारा भाजपा बुलंद करती है लेकिन वो राष्ट्रवाद का असली ठेकेदार खुद को बताती है। राहुल ने आज भारत माता का जिक्र यह बता दिया कि राष्ट्रवाद किसी एक पार्टी का कॉपीराइट नहीं है।
नूंह हिंसा का भी जिक्रः हालांकि राहुल के भाषण में नूंह का जिक्र क्षण भर के लिए आया था। लेकिन वो बहुत बड़ा संदेश दे गया। नूंह का जिक्र कर राहुल गांधी ने वहां हुई साम्प्रदायिक हिंसा के लिए सीधे तौर पर हरियाणा सरकार और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। राहुल के शब्द थे- मणिपुर से लेकर नूंह तक आप लोगों ने पूरे भारत को आग में झोंक दिया है। राहुल के भाषण में नूंह का जिक्र और मणिपुर के साथ उसका जिक्र बताता है कि समुदाय विशेष के खिलाफ हुई नूंह की घटना पर कांग्रेस गंभीर है। नूंह हिंसा के बाद वहां समुदाय विशेष को दंगाई बताते हुए संपत्तियों को सरकार ने निशाना बनाया। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर वहां तोड़फोड़ की कार्रवाई रोकी गई।
संवेदनशील भाषण
राहुल गांधी का लोकसभा में 9 अगस्त का भाषण इमोशन से भरा हुआ था। चाहे वो मणिपुर रिलीफ कैंप की महिलाओं के दर्द का बयान हो, चाहे वो किसानों की बात हो। दोनों ही तथ्यों को उन्होंने पूरे इमोशन के साथ पेश किया। विपक्षी इसे राहुल का नाटक भी करार दे सकते हैं लेकिन मणिपुर कैंप की मात्र दो घटनाओं के उल्लेख से ही सत्ता पक्ष की सांस फूलने लगी और भाजपा सांसदों और कई मंत्रियों ने राहुल के भाषण को अपने शोर में दबाने की कोशिश की।क्या प्रधानमंत्री मोदी अपने जवाबी भाषण में राहुल गांधी के इस सवाल का जवाब देंगे कि आखिर वो मणिपुर में इतना बड़ा नरसंहार होने के बावजूद क्यों नहीं गए, उन्होंने मणिपुर के लोगों के दर्द को क्यों नहीं महसूस किया। राहुल गांधी और कांग्रेस चाहती तो कुकी आदिवासियों के मुकाबले मैतेई बहुसंख्यकों की वजह से भाजपा की तरह चुप रहती लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मणिपुर पर भाजपा की दोहरी नीति को राहुल बेनकाब करने में बुधवार को कामयाब रहे।