कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। कांग्रेस की तरफ से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक़ 24 सितंबर से नामांकन शुरू होंगे, 17 अक्टूबर को वोट पड़ेंगे और 19 अक्टूबर को नतीजा आएगा। सबकी निगाहें कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का हिम्मत दिखाने वाले नेताओं को तलाश रही हैं।
राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है। इसी बीच संकेत मिले हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ने की संभावनाएँ तलाश रहे हैं। लेकिन अभी साफ़ नहीं है कि वो राहुल के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में ही अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे या फिर वो राहुल गांधी को चुनौती देंगे?
क्यों लग रहे हैं थरूर के चुनाव लड़ने के कयास?
शशि थरूर के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के कयास उनके लिखे एक लेख की वजह से लग रहे हैं। दरअसल मलयालम अखबार मातृभूमि में उनका एक लेख छपा है। इसमें उन्होंने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का आह्वान किया है। इस लेख में उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की दर्जन भर सीटों के लिए भी पार्टी को चुनाव की घोषणा करनी चाहिए। थरूर ने कहा, एआईसीसी और पीसीसी प्रतिनिधियों के लिए पार्टी के सदस्यों को यह फैसला लेने देने की अनुमति होनी चाहिए कि अहम पदों पर पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। इससे आने वाले नेताओं के समूह को वैध बनाने और पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उन्हें विश्वसनीय जनादेश देने में मदद मिलेगी।
ग़ौरतलब है कि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 2020 में पत्र लिखकर संगठनात्मक सुधारों की मांग करने वाले 23 नेताओं के समूह में शामिल रहे हैं। उनके इस लेख के सामने आने के बाद से उनके अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के कयास लग रहे हैं।
मन बनाया है, पर अंतिम फैसला नहीं किया
केरल के मीडिया में आ रहीं ख़बरों में दावा किया जा रहा है कि शशि थरूर ने अभी सिर्फ़ चुनाव लड़ने का मन बनाया है, इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है। हालाँकि शशि थरूर ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि वह इस मुक़ाबले में शामिल होंगे या नहीं। उन्होंने जो कुछ कहा उसका यही मतलब निकाला जा रहा है कि उनकी मंशा कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की है। थरूर ने कहा,
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हालाँकि पार्टी को पूरी तरह से पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है लेकिन नेतृत्व के जिस पद को तत्काल भरने की ज़रूरत है वह स्वाभाविक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष का पद है। एक नए अध्यक्ष का चुनाव करना पुनरुद्धार की ओर एक शुरुआत है, जिसकी कांग्रेस को सख़्त ज़रूरत है। मैं उम्मीद करता हूँ कि चुनाव के लिए कई उम्मीदवार सामने आएंगे। पार्टी और देश के लिए अपने विचारों को सामने रखना निश्चित तौर पर जनहित को जगाएगा।
शशि थरूर, कांग्रेस नेता
कितना मज़बूत होगा शशि थरूर का दावा?
शशि थरूर के इसी लेख और इस बारे में पूछे उनके सवाल के जवाब के आधार पर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वो कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं। इसके साथ ही ये सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उनका दावा कितना मजबूत होगा। पार्टी में कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर एक उपयुक्त उम्मीदवार हैं। इसमें कांग्रेस को आगे ले जाने की क्षमता भी है। दक्षिण भारतीय होने के बावजूद हिंदी और अंग्रेजी पर उनकी समान रूप से पकड़ है। उन्होंने वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 2009 से लेकर वह केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से लगातार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उनकी काबिलियत पर किसी भी तरह का सवाल नहीं उठाया जा सकता है। उनका दावा काफी मज़बूत है लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या पार्टी के भीतर उन्हें इस सर्वोच्च पद का चुनाव जीतने लायक समर्थन मिल पाएगा?
राहुल के रुख पर निर्भर है थरूर का फ़ैसला
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का शशि थरूर का फैसला राहुल गांधी के रुख पर निर्भर होगा। सूत्रों का दावा है कि अगर राहुल गांधी खुद अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हैं तो शशि थरूर क्या किसी और की उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं होगी। अगर शशि थरूर राहुल गांधी को चुनौती देने की कोशिश करते हैं तो उनका वही हश्र होगा जो 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले जितेंद्र प्रसाद का हुआ था। जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 वोट मिले थे। पार्टी में कई और नेताओं का मानना है कि शशि थरूर जितेंद्र प्रसाद वाली गलती शायद ही दोहराएं। दक्षिण भारत में जरूर उनके पीछे कुछ लोग खड़े हो सकते हैं लेकिन उत्तर भारत में उन्हें समर्थन मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है।
यदि राहुल नहीं लड़े तो थरूर का मुक़ाबला किससे होगा?
अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ने के अपने फ़ैसले पर अटल रहते हैं तो उस सूरत में शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इस सूरत में उनका मुकाबला किससे होगा, अभी ये कहना मुश्किल है। सोनिया गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने की गुजारिश की है। लेकिन उन्होंने इस पर अभी भी हामी नहीं भरी है। अगर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सहमति से गहलोत अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने को तैयार हो जाते हैं तो फिर पार्टी में उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनाने की कोशिश होगी। ऐसी सूरत में शशि थरूर क्या चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखा पाएंगे, ये बेहद अहम सवाल है।
अगर सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनावी प्रक्रिया से पूरी तरह दूर रहते हैं तो फिर ये देखना दिलचस्प होगा कि शशि थरूर की तरह कितने और नेता चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर करते हैं। इस मुकाबले में दिग्विजय सिंह भी उतर सकते हैं। उन्हें कभी राहुल का सबसे करीबी और भरोसेमंद माना जाता था।
राहुल के चुनाव लड़ने पर क्यों है संशय?
राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस अभी भी संशय बना हुआ है। पिछले महीने ही ख़बर आई थी कि सोनिया गांधी की पहल पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने की गुजारिश की थी लेकिन राहुल ने साफ मना कर दिया था। राहुल ने दो टूक कह दिया था कि न वो खुद अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं और न ही प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने के हक में हैं। उनका कहना था कि पार्टी उनके परिवार से बाहर से किसी को अध्यक्ष चुने।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रही हैं। तभी से वो इस बात पर कायम हैं कि नया अध्यक्ष उनके परिवार से बाहर का हो। इसलिए उनके चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है।
कुछ भी हो, शशि थरूर ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करके ठहरे हुए तालाब में पत्थर तो फेंक ही दिया है। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने में अभी तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बाकी है। इस बीच कई और नेता भी चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर सकते हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि पार्टी का नया अध्यक्ष कठपुतली नहीं होना चाहिए। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि लोग खुद अपना नाम पेश करें। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने तक शशि थरूर की तरह कितने और नेता चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हैं और उनमें से कितने नेता चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत दिखाते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष का यह चुनाव यह साबित करेगा कि कांग्रेस में क्या सचमुच आंतरिक लोकतंत्र है और कांग्रेस इसे आगे भी बनाए रखना चाहती है।