लगता है कि पंजाब कांग्रेस के नाराज़ नेता नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पद से हटाने से कम पर मानने के लिए तैयार नहीं हैं हालांकि सिद्धू नेतृत्व परिवर्तन की मांग वाली बात को खारिज करते हैं। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से तीन सदस्यों वाला पैनल बनाए जाने, सिद्धू और नाराज़ सभी विधायकों-नेताओं की बात सुनने के बाद भी यह कलह ख़त्म होती नहीं दिखती।
सिद्धू ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए ताज़ा इंटरव्यू में एक बार फिर अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है और कहा है कि अमरिंदर सिंह हर दिन झूठ बोलते हैं।
हाल ही में यह खब़र आई थी कि नाराज़ विधायकों और अमरिंदर गुट के नेताओं की पैनल के सामने पेशी होने के बाद सिद्धू को अमरिंदर कैबिनेट में जगह देने की बात कही गई है। सिद्धू को डिप्टी सीएम का पद देने की भी बात सामने आई लेकिन ख़बरों के मुताबिक़, सिद्धू ने कह दिया है कि वह अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में काम नहीं कर सकते।
‘पीके मुझसे 60 बार मिले’
पैनल के सामने पेशी होने के बाद यह माना जा रहा था कि सिद्धू कम से कम मीडिया में बयानबाज़ी नहीं करेंगे। लेकिन क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में कहा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके के उनसे 60 बार मिलने के बाद ही वह कांग्रेस में शामिल हुए और वह किशोर को बता चुके थे कि उनका एजेंडा प्रो-पंजाब है और वह आज भी इस एजेंडे पर टिके हुए हैं। सिद्धू ने कहा कि उनकी लड़ाई सिस्टम के ख़िलाफ़ है।
सिद्धू ने कहा कि ताक़त लोगों के हाथ में होनी चाहिए और उनकी किसी के साथ कोई निजी लड़ाई नहीं है और न ही कोई पर्सनल एजेंडा है।
सिद्धू ने अपनी सियासी अहमियत का बखान करते हुए कहा कि उन्होंने 56 सीटों पर प्रचार किया था और पार्टी को 54 सीटों पर जीत मिली और माझा इलाक़े की 24 में से 23 सीटों पर।
उनकी कही बातों पर अमरिंदर सरकार ने काम क्यों नहीं किया, इस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि वह इस बात की ही तो सफाई मांग रहे हैं लेकिन वे जवाब ही नहीं देते। उन्होंने इस दौरान रेत, ट्रांसपोर्ट माफ़िया की कारगुजारियों को जिक्र किया और कहा कि सिस्टम इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करता।
दिल्ली आए पंजाब कांग्रेस के नाराज़ विधायकों ने भी ज़मीन, रेत, ड्रग्स, केबल और अवैध शराब के माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई न होने की शिकायत आलाकमान की ओर से बनाए गए पैनल से की थी।
कौन हैं दो परिवार?
पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री सिद्धू ने कहा कि अगर आप दो परिवारों के नज़दीकी हैं तो सिस्टम में शामिल अफ़सर या सरकारी महकमा आपके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करता। हालांकि उन्होंने इन दो परिवारों का नाम नहीं लिया।
अपनी शायरियों और चुटकुलों के लिए पहचाने जाने वाले इस पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि उन्होंने पैनल को जो उनके मन में था, वह सब कुछ बता दिया है।
‘बेअदबी मामले में हो न्याय’
उन्होंने कहा कि उन्हें कोई रोल नहीं चाहिए और वह लोगों का भला चाहते हैं। 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब का बेअदबी मामला सुलझाया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह ज़रूर कहा कि अगर उन्हें लोगों की जिंदगी बदलने के लिए ताक़त मिलेगी तो वह इस काम को करेंगे। सिद्धू यह भी कहते हैं कि लोगों ने उन्हें पांच चुनाव ऐसे ही नहीं जिताए हैं।
सिद्धू आरोप लगा चुके हैं कि अमरिंदर सिंह ने बेअदबी मामले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को बचाने की पूरी कोशिश की है और ऐसा करके पंजाब की जनता से धोखा किया गया है।
कांग्रेस के ही कुछ नेता उन्हें महत्वाकांक्षी कहते हैं, इस सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि अगर 200 लोग आपके बारे में कुछ भी कहें तो क्या वह सच हो जाएगा और यह सिर्फ़ गुमराह करने और ध्यान भटकाने का तरीक़ा है।
यह पूछने पर कि पंजाब कांग्रेस में किस बात का संकट है, सिद्धू ने कहा कि कोई भी शख़्स एजेंडे पर काम करने के लिए तैयार नहीं है और सभी लूट करने के लिए तैयार बैठे हैं।
सिद्धू ने कहा कि वह कुछ ज़्यादा नहीं बोल रहे हैं बल्कि जो बात पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष ने कही, विधायकों ने कही, लोगों ने कही, उसी बात को उन्होंने भी कहा है। अमरिंदर सरकार में मंत्री रह चुके सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस का हर विधायक बेअदबी मामले में न्याय न होने की बात को कह रहा है।
हाल ही में पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने भी पंजाब कांग्रेस के झगड़े को जटिल बताया था और कहा था, “कैप्टन जहां सम्मानित नेता हैं, वहीं सिद्धू भविष्य के लिए उपयोगी हैं, इसके अलावा भी कई कांग्रेस नेता और उनके परिवार हैं जो कांग्रेस के साथ मज़बूती से जुड़े हुए हैं।”
इस बीच, सोनिया गांधी पंजाब में एक स्वतंत्र सर्वे करवा रही हैं और इसमें क्या सामने आता है, इस पर भी नज़रें लगी हुई हैं।
‘नेतृत्व में बदलाव नहीं चाहता’
एक सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि उन्होंने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के पद की मांग कभी नहीं की है और 17 साल के राजनीतिक करियर में कभी भी पद नहीं मांगा है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के समर्पित सिपाही हैं और लड़ते रहेंगे। उन्होंने साफ कहा कि वह नेतृत्व में बदलाव नहीं चाहते लेकिन चीजें दुरुस्त होनी चाहिए और काम होना चाहिए।
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने जब यह कहा कि अमरिंदर सिंह के पास ज़्यादा विधायक हैं तो सिद्धू ने कहा कि अमरिंदर सिंह कांग्रेस नहीं हैं और कांग्रेस का मतलब हाईकमान है। अंत में सिद्धू ने कहा कि हाईकमान सुप्रीम है और वही फ़ैसला लेगा।
पंजाब में 7 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन सिद्धू के तेवरों से साफ लगता है कि वह अपनी बात मनवाए बिना शांत नहीं होंगे। इसलिए हाईकमान को इस मामले में कोई निर्णायक फ़ैसला करना ही होगा, वरना पार्टी के लिए चुनाव में लोगों के सामने जाना मुश्किल हो जाएगा।